Edited By jyoti choudhary,Updated: 15 Jul, 2023 11:18 AM
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में संपत्ति खरीदना महंगा हो गया है। इसकी वजह ये है कि दिल्ली सरकार ने शहर भर में 25 लाख रुपए से अधिक कीमत वाली संपत्तियों पर ट्रांसफर शुल्क में 1 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने की अधिसूचना जारी की है। ट्रांसफर ड्यूटी में बढ़ोतरी को...
बिजनेस डेस्कः राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में संपत्ति खरीदना महंगा हो गया है। इसकी वजह ये है कि दिल्ली सरकार ने शहर भर में 25 लाख रुपए से अधिक कीमत वाली संपत्तियों पर ट्रांसफर शुल्क में 1 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने की अधिसूचना जारी की है। ट्रांसफर ड्यूटी में बढ़ोतरी को दिल्ली नगर निगम (MCD) ने मई 2022 में मंजूरी दे दी थी लेकिन इस संबंध में दिल्ली सरकार द्वारा 10 जुलाई, 2023 को एक अधिसूचना जारी की गई। वर्तमान में दिल्ली में संपत्ति की बिक्री और खरीद पर ट्रांसफर ड्यूटी पुरुषों के लिए 3 प्रतिशत और महिलाओं के लिए 2 प्रतिशत है। बढ़ोतरी के बाद ट्रांसफर ड्यूटी पुरुषों के लिए 4 प्रतिशत और महिलाओं के लिए 3 प्रतिशत होगी।
दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग ने 10 जुलाई की अधिसूचना का हवाला देते हुए राजस्व विभाग को एक पत्र जारी किया। जिसमें कहा गया है, 'दिल्ली नगर निगम द्वारा अचल संपत्तियों के ट्रांसफर पर ट्रांसफर ड्यूटी को इस अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख से महिला (थर्ड जेंडर सहित) के लिए 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 3 प्रतिशत कर दिया गया है। जबकि पुरुष और अन्य (यानी, कोई अन्य इकाई) के मामले में 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया है। इसे लागू करने के लिए अधिकारियों द्वारा निर्देशित किया गया है। उपरोक्त अधिसूचना दिल्ली के GNCT में उप-पंजीयकों के सभी कार्यालयों में तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है।''
रियल एस्टेट एक्सपर्ट्स ने कहा कि इस कदम से संपत्तियों की कुल लागत में वृद्धि होगी। साउथडेल्हीप्राइम.कॉम के रोहित चोपड़ा ने कहा कि इससे संपत्तियां महंगी हो जाएंगी क्योंकि मामूली बढ़ोतरी भी खरीदारों की समग्र भावना पर असर डालती है। उन्होंने कहा कि शहर में पहली बार खरीदारी करने वालों पर इसका ज्यादा असर पड़ेगा।
उन्होंने कहा “संपत्तियां अब निश्चित रूप से महंगी हो जाएंगी। पहली बार खरीदने वालों को इसका सबसे अधिक नुकसान होगा। इसकी वजह ये है कि वे आम तौर पर मिड सेगमेंट्स की संपत्तियां खरीदते हैं। उनके लिए एक-एक पैसा मायने रखता है। इस कदम से 3 करोड़ रुपए से 7 करोड़ रुपए के मूल्य वर्ग में संपत्तियों के खंड पर असर पड़ने की संभावना है क्योंकि अधिकांश बिक्री इसी सेगमेंट में की जाती है।