ऑनलाइन खरीदारी में फर्जी रिव्यू पर केंद्र सख्त, फ्लिपकार्ट-अमेज़न को किया तलब

Edited By Updated: 27 May, 2022 01:42 PM

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ई-कॉमर्स वेबसाइट पर होने वाले फर्जी रिव्यू पर केंद्र की नजर गई है। इस संबंध में उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय, भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) के साथ मिलकर आज ई-कॉमर्स कंपनियों सहित सभी पक्षों के साथ एक बैठक करेगा। बैठक में फर्जी रिव्यू के प्रभाव पर...

नई दिल्लीः ई-कॉमर्स वेबसाइट पर होने वाले फर्जी रिव्यू पर केंद्र की नजर गई है। इस संबंध में उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय, भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) के साथ मिलकर आज ई-कॉमर्स कंपनियों सहित सभी पक्षों के साथ एक बैठक करेगा। बैठक में फर्जी रिव्यू के प्रभाव पर चर्चा की जाएगी, जो उपभोक्ताओं को ऑनलाइन उत्पादों और सेवाओं को खरीदने के लिए गुमराह करते हैं। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि बैठक का मकसद मोटे तौर पर उपभोक्ताओं पर फर्जी और भ्रामक रिव्यू का क्या और कैसा असर पड़ता है, उसका आकलन करना और इस तरह की गड़बड़ियों को रोकने के उपाय करना है।

उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने इस संबंध में सभी पक्षों को लिखा है। इनमें फ्लिपकार्ट, अमेज़न, टाटा संस, रिलायंस रिटेल जैसी प्रमुख ई-कॉमर्स इकाइयां शामिल हैं। सचिव ने सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ यूरोपीय यूनियन (EU) में 223 बड़ी वेबसाइट पर ऑनलाइन रिव्यू की स्क्रीनिंग साझा की। स्क्रीनिंग में यह निकलकर सामने आया कि करीब 55 फीसदी वेबसाइट्स ईयू की कारोबारी आदतों पर बने दिशानिर्देशों का उल्लंघन करती हैं। वहीं अधिकारियों ने पाया कि 223 में से 144 वेबसाइट पर ट्रेडर्स ने ये सुनिश्चित करने के लिए कुछ नहीं किया कि उनकी वेबसाइट पर पोस्ट होने वाले रिव्यू सही है या नहीं। मिसाल के तौर पर जिसने भी किसी प्रॉडक्ट या सेवा को रिव्यू किया है, उसने असल में वह उत्पाद या सेवा खरीदी भी है या नहीं।

सेक्रेटरी ने पत्र में कहा कि दिन ब दिन ऑनलाइन सामान और सेवाओं की खरीदारी करने वाले कंज्यूमर्स की संख्या बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर प्रॉडक्ट सिर्फ तस्वीर देखकर खरीदे जाते हैं। ग्राहक सामान को हाथ में लेकर नहीं देख पाते जैसे दुकान पर देख सकते हैं। ऐसे में ज्यादातर ग्राहक कोई भी सामान खरीदने से पहले उसके रिव्यू को देखते हैं और उसी पर भरोसा करते हैं। रिव्यू में जैसा भी अनुभव साझा किया गया होता है, उसी आधार पर ग्राहक सामान या सर्विस खरीदने के बारे में फैसला करते हैं। फेक और भ्रामक रिव्यू कंज्यूमर प्रोटेक्शन ऐक्ट 2019 के तहत दिए गए राइट टू बी इनफॉर्म्ड का उल्लंघन करते हैं।

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