Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 May, 2020 03:37 PM
सरकार के उच्च पदस्थ सूत्र का मानना है कि कोरोना वायरस के अर्थव्यवस्था पर पड़े विपरीत प्रभावों से उबारने के लिए करीब 21 लाख करोड़ रुपए के वित्तीय पैकेज की घोषणा किए जाने के बावजूद
नई दिल्लीः सरकार के उच्च पदस्थ सूत्र का मानना है कि कोरोना वायरस के अर्थव्यवस्था पर पड़े विपरीत प्रभावों से उबारने के लिए करीब 21 लाख करोड़ रुपए के वित्तीय पैकेज की घोषणा किए जाने के बावजूद लॉकडाउन से उत्पन्न विषम परिस्थितियों के कारण मजदूरों के अपने घर लौटने से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होंगी। इस सूत्र ने शुक्रवार को यहां कहा कि कोरोना वायरस जैसी विषम परिस्थितियों में हर किसी के अपने परिवार के साथ रहना मानव की प्राकृतिक भावना के अनुरूप है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए।
हालांकि सूत्र ने माना है कि मजदूरों के घर लौटने से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना प्रभावित हो सकता है। उन्होंने कहा कि श्रम मंत्रालय के साथ इस पर चर्चा की जा रही है। हालांकि उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बीच कुछ क्षेत्रों में दिए गए राहत और आर्थिक गतिविधियां शुरू होने से अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने की उम्मीद बनी है। उन्होंने कहा कि जहां जहां विनिर्माण आदि गतिविधियां शुरू हुई हैं वहां संयंत्रों के अपनी क्षमता के 20 से 35 फीसदी तक काम करने की रिपोर्ट मिल रही है। उन्होंने कहा कि कंपनियों ने अब स्थानीय स्तर पर कामगारों की भर्ती प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इसके लिए कई तरह के प्रोत्साहन भी दिये जा रहे हैं जिसमें तीन समय का भोजन आदि भी शामिल है।
सूत्र ने कहा कि आवश्यक या गैर आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी में बढोतरी करना जीएसटी परिषद पर निर्भर करता है लेकिन लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए हर क्षेत्र में मांग बढ़ाने की जरूरत होगी। उल्लेखनीय है कि जीएसटी परिषद की अगले महीने बैठक होने वाली है और उम्मीद की जा रही है कि राजस्व में बढोतरी के लिए गैर आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी में बढोतरी की जा सकती है।