माल्या ने चली नई 'चाल'

Edited By ,Updated: 14 Jun, 2016 12:46 PM

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यह सवाल उठ रहा है कि आखिरकार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को विजय माल्या की 1,411 करोड़ रुपए की संपत्ति एक ही दिन में जब्त करने की जरूरत क्यों पड़ गई?

नई दिल्लीः यह सवाल उठ रहा है कि आखिरकार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को विजय माल्या की 1,411 करोड़ रुपए की संपत्ति एक ही दिन में जब्त करने की जरूरत क्यों पड़ गई? इसका जवाब है माल्या का चालाकी। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, शराब कारोबारी विजय माल्या जो इस समय लंदन में हैं उन्होंने ईडी द्वारा शनिवार को अपनी सम्पत्ति सील करने से पहले ही करोड़ों रुपए में अपनी 2 संपत्तियों को बेच दिया था। 

 

माल्या ने जो 2 प्रॉपर्टीज बेची हैं उनमें एक कर्नाटक के कुर्ग और दूसरी इसी के आस-पास की थी। हालांकि, अधिकारियों ने डीटेल्स सांझा करने से इनकार कर दिया। ईडी यह पता लगाने में जुटी है कि इन संपत्तियों की बिक्री के पैसे माल्या ने ले लिए हैं या अभी उन्हें या विदेश में स्थित उनकी कम्पनियों को पैसे मिलने वाले हैं? एजैंसी ने अपनी जांच में बिक्री के डीटेल्स जुटाए हैं और न्यायिक प्राधिकरण के सामने शिकायत में वह इसका भी ब्यौरा देगी।

 

एजैंसी को जैसे ही पता चला कि बैंकों या जांच एजैंसियों के हाथ में जाने से पहले माल्या भारत में अपनी संपत्तियां तेजी से बेच रहे हैं, उसने शुक्रवार को अदालत का दरवाजा खटखटाया और कोर्ट ने माल्या को 'भगोड़ा अपराधी' घोषित कर दिया। इसके बाद ईडी ने शनिवार को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (PMLA) के तहत संपत्तियां अटैच कर ली।

 

सूत्रों ने कहा कि उन्हें पता चला कि 2 मार्च, 2015 को देश छोड़कर लंदन जा चुके माल्या ने यहां की अपनी संपत्तियां बेचनी शुरू कर दी ताकि प्रोविजनल अटैचमेंट ऐक्शन को टाला जा सके। अधिकारियों ने माल्या के इस रवैये को गैर-कानूनी बताया। एक अधिकारी ने कहा, 'ऐसे काम से साफ पता चलता है कि माल्या बैंक लोन चुकाने या भारत आने का इरादा नहीं रखते हैं।'

 

टाइम्स ऑफ इंडिया के एक ई-मेल का लंदन से जवाब देते हुए माल्या ने कहा कि ED ने यूनाइटेड ब्रुअरीज होल्डिंग्स लिमिटेड (UBHL) की उनकी प्रॉपर्टीज और ऐसेट्स जब्त कर लिए जबकि यह मामला ED जांच का था भी नहीं। उन्होंने कहा, 'ऐसेट्स को कथित तौर पर PMLA के तहत अटैच किया गया जो किंगफिशर एयरलाइंस की लॉन्चिंग से कुछ साल पहले अस्तित्व में आया। ईडी ने जो कार्रवाईयां की हैं, उनके कोई तार्किक या कानूनी आधार नहीं हैं और अब उसने बैंक लोन चुकाने के लिए पैसे जुटाने को ज्यादा मुश्किल बना दिया है। स्पष्ट है कि बैंक लोन रिकवरी के सिविल मैटर को बिना किसी आधार के आपराधिक आरोपों से जोड़ा जा रहा है।'

 

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