फिर आया हिंडनबर्ग जैसा भूत, इस बार वेदांता हुआ शिकार, शेयर हुआ धड़ाम

Edited By Updated: 09 Jul, 2025 03:29 PM

ghost of hindenburg came again this time vedanta was the victim

हिंडनबर्ग जैसा भूत फिर वापस आ गया है। इस बार अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता इसका निशाना बन गई। एक रिपोर्ट ने वेदांता के वित्तीय मॉडल और कर्ज के ढांचे पर सवाल उठाए, जिसके बाद निवेशकों में अफरा-तफरी मच गई और शेयर बाजार में वेदांता के शेयर धड़ाम हो गए।

बिजनेस डेस्कः हिंडनबर्ग जैसा भूत फिर वापस आ गया है। इस बार अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता इसका निशाना बन गई। एक रिपोर्ट ने वेदांता के वित्तीय मॉडल और कर्ज के ढांचे पर सवाल उठाए, जिसके बाद निवेशकों में अफरा-तफरी मच गई और शेयर बाजार में वेदांता के शेयर धड़ाम हो गए। 

बी.एस.ई. में वेदांता के शेयर इंट्राडे में 7.7 प्रतिशत गिरकर 421 रुपए पर पहुंच गए, वहीं हिंदुस्तान जिंक के शेयर भी 4.8 प्रतिशत टूटकर 415.30 रुपए पर पहुंच गए। इन दोनों कंपनियों के शेयर में इस गिरावट के पीछे अमरीका की एक शॉर्ट सेलर कंपनी की रिपोर्ट बताई जा रही है।

दरअसल हाल ही में अमरीका की शॉर्ट-सेलर कंपनी वायसराय रिसर्च की एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें उसने वेदांता ग्रुप की वित्तीय व्यवस्था पर सवाल उठाए और इसकी पेरैंट कंपनी वेदांता रिसोर्स की तुलना एक पोंजी स्कीम से कर दी।

क्या कहा रिपोर्ट में?

वायसराय ने कहा कि पूरे ग्रुप की संरचना वित्तीय रूप से अस्थिर है, संचालन में भी दिक्कत है और इसके कर्जदाताओं के लिए यह एक बड़ा लेकिन कम आंका गया जोखिम है। रिपोर्ट में वेदांता रिसोर्स को ‘एक परजीवी होल्डिंग कंपनी’ बताया गया है, जिसका खुद का कोई बड़ा कारोबार नहीं है और यह पूरी तरह वेदांता लिमिटेड से निकाले गए पैसों के सहारे चल रही है। 

कंपनी पर आरोप है कि वेदांता रिसोर्स अपनी कर्ज की जरूरतों को पूरा करने के लिए वेदांता लिमिटेड से लगातार पैसा निकाल रही है, जिससे ऑप्रेटिंग कंपनी को बार-बार उधार लेना पड़ रहा है। इससे वेदांता लिमिटेड की असली कीमत घट रही है, जो खुद वेदांता रिसोर्स के कर्जदाताओं के लिए गारंटी है।

रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले तीन सालों में वेदांता लिमिटेड का 5.6 बिलियन डॉलर का फ्री कैश फ्लो घाटा हुआ है, जिसका इस्तेमाल वेदांता रिसोर्स की डिविडैंड मांगों को पूरा करने में हुआ और ये डिविडैंड असली मुनाफे से नहीं, बल्कि नए कर्ज, कैश रिजर्व को घटाकर और तेज वर्किंग कैपिटल से दिए गए। यह पूरी रणनीति पोंजी स्कीम जैसी लगती है। वायसराय ने कहा, “और फिलहाल, वेदांता लिमिटेड के शेयरधारक इसमें फंस गए हैं।”

झूठे आंकड़े और छिपे खर्चे

रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया कि कंपनी ने अपनी संपत्तियों के मूल्य को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया और अरबों डॉलर के खर्चों को बैलेंस शीट से छिपा लिया। एक उदाहरण में कहा गया कि वेदांता रिसोर्स ने वित्त वर्ष 2025 में 4.9 बिलियन डॉलर के कुल कर्ज पर 835 मिलियन डॉलर का ब्याज खर्च दिखाया, जिससे इसका इफैक्टिव इंटरस्ट रेट 15.8 प्रतिशत बनता है, जबकि कंपनी अपने ज्यादातर बॉन्ड्स और लोन पर 911 प्रतिशत की दर दिखाती है।

वायसराय ने कहा, “हम सिर्फ तीन ऐसे हालात देख सकते हैं जिनमें कंपनी का ब्याज खर्च सही माना जाए और ये तीनों ही गंभीर वित्तीय गड़बड़ी की ओर इशारा करते हैं।”

हिंदुस्तान जिंक पर ये हैं आरोप

यहां तक कि हिंदुस्तान जिंक, जो वेदांता की सबसे अच्छी कंपनी मानी जाती है, उसे भी इस रिपोर्ट में नहीं बख्शा गया। वायसराय रिसर्च का कहना है कि वेदांता ने सरकार के साथ हुए शेयरधारक समझौते का उल्लंघन किया है। समझौते के अनुसार वेदांता को एक स्मेल्टर (धातु गलाने का प्लांट) बनाना था, जो उसने नहीं बनाया। इससे सरकार को यह अधिकार मिल गया है कि वह हिंदुस्तान जिंक के शेयर वापस खरीद ले या उन्हें बेच दे। इससे वेदांता को 10.66 बिलियन डॉलर तक का नुकसान हो सकता है।

हिंदुस्तान जिंक पर यह भी आरोप है कि उसने 3 साल में 1,562 करोड़ रुपए की ब्रांड फीस चुकाई है, जबकि वह उस ब्रांड का इस्तेमाल नहीं करती। वायसराय रिसर्च ने इसे माइनोरिटी शेयरधारकों के साथ सरासर अन्याय बताया है। 

रिपोर्ट में यह चेतावनी दी गई है कि वेदांता ग्रुप ताश के पत्तों का घर है, जो अस्थिर कर्ज, लूटी गई संपत्ति और झूठे खातों पर बना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी का प्रस्तावित डिमर्जर सिर्फ समूह के दिवालियापन को कई कमजोर कंपनियों में फैला देगा और हर कंपनी पर कर्ज का बोझ होगा।

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