सरकारी बैंकों का NPA घटकर एक दशक के निचले स्तर पर, वित्तीय सुधारों ने दिखाई असर

Edited By Updated: 13 Dec, 2024 04:10 PM

npa of public sector banks reduced to a decade low

सरकार द्वारा किए गए विभिन्न उपायों से सरकारी बैंकों का एनपीए लगातार घटता जा रहा है। सरकारी बैंकों का एनपीए सितंबर, 2024 के अंत में घटकर एक दशक के निचले स्तर 3.12 फीसदी पर आ गया है। मार्च, 2018 में सरकारी बैंकों का सकल एनपीए 14.58 फीसदी था। वित्त...

नई दिल्लीः सरकार द्वारा किए गए विभिन्न उपायों से सरकारी बैंकों का एनपीए लगातार घटता जा रहा है। सरकारी बैंकों का एनपीए सितंबर, 2024 के अंत में घटकर एक दशक के निचले स्तर 3.12 फीसदी पर आ गया है। मार्च, 2018 में सरकारी बैंकों का सकल एनपीए 14.58 फीसदी था। वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी दी। सरकार के चार ‘आर’ यानी समस्या की पहचान (रिकॉग्निशन), पूंजी डालना (रिकैपिटलाइजेशन), समाधान (रिजोल्यूशन) और सुधार (रिफॉर्म) जैसे उपायों से एनपीए में कमी आई है। मंत्रालय ने कहा कि 2015 के बाद से सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के सामने चुनौतियों के समाधान के लिए चार ‘आर’ की रणनीति अपनायी। इसके तहत एनपीए को पारदर्शी रूप से पहचानने, उसका समाधान और फंसे कर्ज की वसूली, पीएसबी में पूंजी डालने और वित्तीय प्रणाली में सुधार के लिए कदम उठाए गए।

सरकारी बैंकों में पूंजी पर्याप्तता अनुपात 3.93 फीसदी सुधरकर सितंबर, 2024 में 15.43 फीसदी पर पहुंच गया, जो मार्च, 2015 में 11.45 फीसदी था। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 2023-24 के दौरान 1.41 लाख करोड़ रुपए का सर्वाधिक शुद्ध लाभ अर्जित किया, जो 2022-23 में 1.05 लाख करोड़ रुपए था। 2024-25 की पहली छमाही में यह आंकड़ा 0.86 लाख करोड़ रुपए रहा। पिछले तीन साल में, पीएसबी ने कुल 61,964 करोड़ रुपए का डिविडेंड दिया है।

पूंजी आधार हुआ मजबूत

वित्त मंत्रालय ने कहा, ‘‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक वित्तीय समावेश को बढ़ाने लिए देश के हर कोने तक अपनी पहुंच बढ़ा रहे हैं। उनका पूंजी आधार मजबूत हुआ है और उनकी संपत्ति गुणवत्ता बेहतर हुई है। अब वे पूंजी के लिए सरकार पर निर्भर रहने के बजाय बाजार से पूंजी जुटाने में समक्ष है।’’ देश में वित्तीय समावेश को मजबूत करने के लिए 54 करोड़ जन धन खाते और विभिन्न प्रमुख वित्तीय योजनाओं पीएम-मुद्रा, स्टैंड-अप इंडिया, पीएम-स्वनिधि, पीएम विश्वकर्मा के तहत 52 करोड़ से अधिक बिना किसी गारंटी के कर्ज स्वीकृत किए गए हैं। 

1,60,501 हो गई बैंक ब्रांचों की संख्या

वित्त मंत्रालय ने कहा कि मुद्रा योजना के तहत, 68 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं और पीएम-स्वनिधि योजना के तहत, 44 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं। बैंक शाखाओं की संख्या सितंबर, 2024 में 1,60,501 हो गई जो मार्च, 2014 में 1,17,990 थी। 1,60,501 शाखाओं में से 1,00,686 शाखाएं ग्रामीण और कस्बों में हैं। वित्त मंत्रालय के अनुसार, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल कर्ज मार्च, 2024 में उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 175 लाख करोड़ रुपए हो गया है। यह 2004-2014 के दौरान 8.5 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 61 लाख करोड़ रुपए रहा था।

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