Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 Feb, 2020 06:28 PM
ऑनलाइन बैंकिंग को और सुरक्षित बनाने के लिए रिजर्व बैंक प्रक्रिया में बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा है। इसके लिए आरबीआई और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के बीच मंथन हो चुका है। मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अभी तक ऑनलाइन बैंकिंग में ट्रांजेक्शन...
नई दिल्लीः ऑनलाइन बैंकिंग को और सुरक्षित बनाने के लिए रिजर्व बैंक प्रक्रिया में बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा है। इसके लिए आरबीआई और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के बीच मंथन हो चुका है। मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अभी तक ऑनलाइन बैंकिंग में ट्रांजेक्शन वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) के जरिए पूरा होता है। यह प्रक्रिया ऑनलाइन बैंकिंग की धोखाधड़ी पर रोक लगाने में कारगर साबित नहीं हो पा रही है। ऐसे में रिजर्व बैंक ट्रांजेक्शन पूरा करने के लिए और भी कई प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी कर रहा है।
आरबीआई के प्रस्ताव के अनुसार, आगे ट्रांजेक्शन पूरा करने के लिए फेशियल रिकॉग्निशन, आइरिस और लोकेशन जैसी जानकारियां भी मांगी जा सकती हैं। इसका मतलब है कि बैंकिंग करने वाले को अब ट्रांजेक्शन पूरा करने के लिए अपनी लोकेशन भी बतानी होगी। बैठक में वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने रिजर्व बैंक से ऑनलाइन फर्जीवाड़ों पर रोक लगाने की अपील की थी, जिसके बाद केंद्रीय बैंक ने इस तरह के प्रस्ताव पर विचार करना शुरू किया है।
ऑनलाइन बैंकिंग के तहत ट्रांजेक्शन पूरा करने के लिए अभी टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2एफए) का इस्तेमाल किया जाता है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर डेबिट या क्रेडिट कार्ड से ट्रांजेक्शन पूरा करने में दो सुरक्षा स्तरों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे 2एफए कहते हैं। पहले स्तर में ग्राहक से कार्ड की डिटेल और सीवीवी नंबर आदि की जानकारी लेकर ट्रांजेक्शन शुरू करने की मंजूरी दी जाती है और दूसरे स्तर के तहत ओटीपी की जानकारी भरनी होती है, जो ग्राहक के संबंधित मोबाइल नंबर पर आता है।
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, देश में डिजिटल बैंकिंग में लगातार इजाफा होने के साथ-साथ ऑनलाइन फ्रॉड की संख्या में भी बढ़ोतरी होती जा रही है। देश में डिजिटल लेनदेन 13 फीसदी सालाना की दर से बढ़ रहा है, जबकि मोबाइल वॉलेट में 50 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हो रही है। 2019 में बैंकिंग फ्रॉड से 71,543 करोड़ रुपए की चपत लगी थी, जबकि पिछली तीन तिमाहियों में ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड के 8,926 मामले सामने आ चुके हैं। इससे 18 सरकारी बैंकों को करीब 1.17 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।