Edited By Shubham Anand,Updated: 15 Jul, 2025 07:41 PM

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन की पांच वर्षों बाद अपनी पहली यात्रा के दौरान आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) परिषद की बैठक में 22 अप्रैल को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का मुद्दा उठाया और आतंकवाद...
इंटरनेशनल डेस्क : विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन की पांच वर्षों बाद अपनी पहली यात्रा के दौरान आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) परिषद की बैठक में 22 अप्रैल को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का मुद्दा उठाया और आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की जरूरत पर बल दिया। यह पहली बार है जब जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़पों के बाद जयशंकर चीन गए हैं।
आतंकवाद से किसी को समझौता नहीं करना चाहिए
विदेश मंत्री ने तियानजिन में आयोजित SCO परिषद की बैठक में कहा कि सदस्य देशों को संगठन के मूल उद्देश्यों के प्रति निष्ठावान रहना चाहिए और आतंकवाद, अलगाववाद तथा उग्रवाद से निपटने के लिए बिना किसी समझौते के कड़े कदम उठाने होंगे। उन्होंने पहलगाम हमले को जानबूझकर जम्मू-कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को कमजोर करने और धार्मिक विभाजन फैलाने के लिए किया गया आतंकी हमला बताया।
जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बयान का उल्लेख करते हुए कहा कि परिषद ने इस हमले की कड़ी निंदा की है और अपराधियों, आयोजकों, फाइनेंसरों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि SCO की स्थापना आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से लड़ने के लिए हुई थी और संगठन को अपने मूल मिशन के प्रति प्रतिबद्ध रहना होगा।
वैश्विक व्यवस्था को स्थिर करना बड़ी चुनौती
विदेश मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में वर्तमान उथल-पुथल का भी जिक्र किया और कहा कि वैश्विक संघर्ष, प्रतिस्पर्धा और आर्थिक अस्थिरता बढ़ रही है। उन्होंने कहा, "हमारे सामने वैश्विक व्यवस्था को स्थिर करना, जोखिम कम करना और सामूहिक हितों को सुरक्षित रखना बड़ी चुनौती है।" जयशंकर ने दुनिया में बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ते कदमों पर भी जोर दिया और कहा कि SCO जैसे प्रभावी समूह विश्व मामलों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
एस. जयशंकर ने कहा कि वर्तमान समय में देशों के बीच टकराव, प्रतिस्पर्धा और दबाव के कारण आर्थिक हालात बिगड़ रहे हैं। इसलिए, विश्व में शांति बनाए रखने के लिए सभी देशों को मिलकर काम करना होगा ताकि वैश्विक खतरों को कम किया जा सके और साझा समस्याओं का समाधान निकाला जा सके। यह यात्रा और बैठक ऐसे समय में हुई है जब भारत-चीन संबंधों में तनाव और क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर कई जटिलताएं बनी हुई हैं। जयशंकर का यह कड़ा संदेश आतंकवाद के खिलाफ भारत की सख्त नीति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत को दर्शाता है।