इस तरह बदलें अपनी Personality और पाएं Success

Edited By ,Updated: 02 Sep, 2015 12:55 PM

article

एक गांव में एक लड़का रहता था। वह छोटा था तो उसकी मां सदा ही उसके पढ़ाई न करने के कारण परेशान रहती थी। कितना भी समझाने के बावजूद वह पढ़ाई पर ध्यान नहीं देता था। एक

एक गांव में एक लड़का रहता था। वह छोटा था तो उसकी मां सदा ही उसके पढ़ाई न करने के कारण परेशान रहती थी। कितना भी समझाने के बावजूद वह पढ़ाई पर ध्यान नहीं देता था। एक बार किसी काऊंसलर ने उसकी मां को समझाया-उसे खेलने का चस्का है, उसे बंद कर आप पढ़ाई करने पर मजबूर कर देंगी तो वह पढ़ाई पर भी ध्यान नहीं दे सकेगा। इसके लिए आपको एक काम करना होगा। आप उससे कहिए कि केवल एक घंटा पढ़ाई करो बाद में जितना चाहो उतना खेलना लेकिन वह एक घंटा तुम्हें मन लगाकर पढऩा होगा। 

देखिए, वह क्या करता है। अगर यह होता है तो धीरे-धीरे डेढ़ घंटा, दो घंटे पढ़ाई को बढ़ाइए और खेलने को कम कीजिए। इससे शायद आपकी समस्या हल हो जाएगी। मां ने यही किया। उनकी यह तिकड़म काम कर गई। पढ़ाई में उसकी रुचि बढ़ती गई और आज वह एक कामयाब विद्यार्थी के रूप में जाना जाने लगा है।

जो बात पढ़ाई की है वही निवृत्ति की भी है। अपनी जिम्मेदारी से अचानक निवृत्त हो जाने के लिए किसी से भी कहा जाए तो वह अपमानित होगा, लेकिन धीरे-धीरे एक-एक जिम्मेदारी कम करने के लिए कहा जाए तो आसान होता है। हमारे धर्म ने निवृत्ति को बड़ा महत्व दिया है। वेदों का उद्दिष्ट ही निवृत्ति है। इंसान को धीरे-धीरे प्रवृत्ति से निवृत्ति की ओर ले जाना ही वेदों का अंतिम उद्दिष्ट है। सभी काम एकदम छोड़ देने की कल्पना मात्र से इंसान को घबराहट होती है। किसी को हम कहेंगे कि यह काम मत करो तो उसका मन उस काम को करने के लिए मचलेगा। यह इंसान का स्वभाव है। जिस काम को करने के लिए मना किया जाता है वही काम करने की उसकी इच्छा हो जाती है। क्रिया करते रहना ही इंसान का स्वभाव है। उसी प्रकार इंद्रियों का रुख बाहर की ओर होता है। इन इंद्रियों को जबरदस्ती रोककर रखें तो वे दोगुने जोर से बाहर आने की कोशिश करेंगी।

गंगा नदी दक्षिण व उत्तर दिशा से आती है और पूर्व की ओर बहती जाती है। गंगा में उतरे एक इंसान ने एक बार सोचा कि मैं क्यों धारा में बहता जाऊं। मैं तो पूर्व से पश्चिम की ओर तैरता जाऊंगा, लेकिन उसकी सोच ही गलत थी। जो नदी दक्षिण से पूर्व की ओर बहती है उसमें तैर कर पूर्व से पश्चिम की ओर जाना कैसे संभव है। यह तो असंभव बात है। उसी प्रकार इंद्रियों की धारा संस्कारों के योग से, धारा के घुमावों के योग से इस जन्म के विषयों के भोग की ओर जाती है। उसकी दिशा बदलना बहुत कठिन काम है। विषयों का त्याग तो धीरे-धीरे ही संभव है। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!