शिवलिंग की ऐसे पूजा करेंगे तो पाप के भागी बनेंगे

Edited By ,Updated: 24 Jul, 2015 12:56 PM

if such prayers will be partaker of the sins of shivling

धार्मिक परिदृश्य में सावन मास भगवान शिव को ही समर्पित रहता है। मान्यता है कि शिव आराधना से इस मास में विशेष फल प्राप्त होता है।

धार्मिक परिदृश्य में सावन मास भगवान शिव को ही समर्पित रहता है। मान्यता है कि शिव आराधना से इस मास में विशेष फल प्राप्त होता है।  इस महीने में हमारे देश के 12 ज्योर्तिलिंगों की विशेष पूजा, अर्चना व अनुष्ठान की बड़ी प्राचीन व पौराणिक परंपरा रही है। रुद्राभिषेक के साथ-साथ महामृत्युंजय का पाठ  तथा काल सर्प दोष निवारण की विशेष पूजा का महत्वपूर्ण समय रहता है। यह वह मास है जब कहा जाता है - जो मांगोगे, वही मिलेगा।  भोले नाथ सब का भला करते हैं ।

क्या आप जानते हैं भोलेनाथ की पूजा में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना अवश्यक है अन्यथा आप पुण्य की बजाय पाप के भागी बन जाएंगे-

* भगवान शिव को तुलसी अर्पित न करें क्योंकि पुराणों में तुलसी को साक्षात लक्ष्मी माना गया है। देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं इसलिए भगवान विष्णु और उनके अवतारों के अतिरिक्त ये अन्य किसी देवी-देवता को नहीं चढ़ाई जाती।

* घर में कभी भी दो शिवलिंग, दो गणेश स्वरूप, तीन दुर्गा मां की प्रतिमा एक साथ न रखें।  इससे घर में अभाग्य आता है।

* शिव पूजन में बिल्वपत्र का प्रथम एवं विशेष स्थान है। शिवलिंग पर बेल पत्र अर्पित करते समय ध्यान रखें की वो कटे-फटे और कीड़ों के खाए न हों। शिवलिंग पर चढ़े बिल्व पत्र को पुन: भगवान शिव पर अर्पित किया जा सकता है लेकिन जल से धोकर अर्पण करना चाहिए। संभव हो तो गंगा जल से धोएं।

* शिवलिंग पर दूध, दही तथा पंचामृत चढ़ाते समय कभी भी कांसे के बर्तन प्रयोग में नहीं लाएं।

* धतूरा और विजया (भांग) एकसाथ ही अर्पण करने चाहिए।

* शिव पुराण में कहा गया है कि शिवलिंग की परिक्रमा के दौरान आधी परिक्रमा करें फिर वापस लौट कर दूसरी परिक्रमा करें। चारों ओर घूमकर परिक्रमा करने से दोष लगता है।

 

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