Edited By ,Updated: 26 Feb, 2016 11:35 AM
मंदिर यानि भगवान का घर और प्रार्थना का केंद्र। मंदिर में भगवान की प्रतिमाओं में ऊर्जा के प्रभाव के लिए उन्हीं मंत्रों का जाप किया जाता है जिनसे
मंदिर यानि भगवान का घर और प्रार्थना का केंद्र। मंदिर में भगवान की प्रतिमाओं में ऊर्जा के प्रभाव के लिए उन्हीं मंत्रों का जाप किया जाता है जिनसे मन स्थिर होकर परमेश्वर का ध्यान, प्रार्थना, पूजा-आरती और ईश्वर का गुणगान कर सकें।
मंदिर के वातावरण में सकारात्मकता होती है जो चुंबक की भांति तन और मन को अपनी ओर खिंचती है, जिससे मन को शांति प्राप्त होती है। इष्ट दर्शन तो घर के मंदिर में भी हो जाते हैं लेकिन मंदिर की प्रतिमाओं में शास्त्रों के अनुसार विशेष विधि विधान से प्राण डाले जाते हैं और उनकी सेवा की जाती है इसलिए जो शांति और पुण्य लाभ मंदिर में प्राप्त होता है वह कई अन्य़ नहीं होता।
धर्म शास्त्र कहते हैं, शिखर दर्शनम् पाप नाशम्
अर्थात शिखर दर्शन करने से समस्त पापों का नाश होता है।
तभी तो लोग मंदिर जाते हैं लेकिन अधिकतर लोग वक्त न मिलने के कारण अथवा किसी अन्य कारण से मंदिर नहीं जा पाते। माना जाता है की व्यक्ति के पाप कर्म उसे मंदिर जाने से अथवा पुण्य कर्म करने से रोकते हैं इसलिए जब भी समय मिले भगवान का नाम सिमरण, साधु-संतों का संग अथवा धार्मिक पुस्तकें पढ़ते रहना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार आप प्रतिदिन मंदिर नहीं जा सकते तो जिस स्थान पर भी मंदिर के दर्शन हों तो अपने इष्ट का नाम सिमरण करके शिखर दर्शन कर लेना चाहिए। शिखर दर्शन करने से भी भगवान के दर्शनों के समान पुण्य लाभ मिलता है।