Apara Ekadashi 2025: सिर्फ उपवास नहीं अपरा एकादशी के दिन पालन करें ये 5 नियम, श्री हरि कृपा से संवर जाएगा भाग्य

Edited By Prachi Sharma,Updated: 21 May, 2025 12:18 PM

apara ekadashi 2025

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का अत्यंत महत्व होता है। वर्षभर में कुल 24 एकादशी आती हैं, जिनमें से अपरा एकादशी को पुण्य प्रदान करने वाली और पापों को हरने वाली तिथि माना गया है।

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 Apara Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का अत्यंत महत्व होता है। वर्षभर में कुल 24 एकादशी आती हैं, जिनमें से अपरा एकादशी को पुण्य प्रदान करने वाली और पापों को हरने वाली तिथि माना गया है। यह एकादशी ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में आती है और 2025 में यह तिथि अत्यंत शुभ मानी जा रही है। अपरा एकादशी का व्रत न केवल मोक्ष प्रदान करता है बल्कि व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य भी लेकर आता है। लेकिन केवल उपवास करना ही पर्याप्त नहीं है। इस दिन कुछ ऐसे विशेष नियम हैं, जिनका पालन करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

 सात्विक जीवन शैली अपनाएं
अपरा एकादशी से एक दिन साधक को सात्त्विक जीवनशैली अपनानी चाहिए। मांसाहार, तामसिक भोजन(प्याज, लहसुन, शराब आदि, क्रोध, छल-कपट और नकारात्मक विचारों से दूर रहें। शुद्ध और पवित्र आचरण से ही व्रत का पूरा फल मिलता है। व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। इससे शरीर और मन दोनों शुद्ध रहते हैं और भगवान की कृपा सहज प्राप्त होती है।

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भगवान विष्णु की पूजा विधि पूर्वक करें
अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन विशेष रूप से फलदायी होता है। इस दिन पीले फूल, तुलसी पत्र, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें या ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। इस दिन तुलसी पत्र के बिना भगवान विष्णु को भोग न लगाएं क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अति प्रिय है।

उपवास को मन, वचन और कर्म से पूर्ण बनाएं
अपरा एकादशी पर केवल शरीर से उपवास करना ही नहीं, बल्कि मन और वाणी से भी संयम आवश्यक है। दिनभर झूठ बोलने, बुराई करने, विवाद करने और नकारात्मक सोच से दूर रहें। यथासंभव मौन रहना लाभकारी होता है। यदि स्वास्थ्य वश पूर्ण उपवास संभव न हो, तो फलाहार लें लेकिन एकादशी के नियमों का पालन करें। रात को जागरण करके भगवान की भक्ति करें।

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दान-पुण्य अवश्य करें
अपरा एकादशी पर दान करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, धन, जल, छाता, चप्पल, पूजा सामग्री आदि का दान करें। विशेष रूप से ब्राह्मणों या संतों को तिल, गुड़, गाय का घी और फल आदि देने से सौभाग्य बढ़ता है।

पाप से दूर रहें, सेवा में जीवन लगाएं
इस पावन दिन किसी को दुःख न पहुंचाएं, जीवों को कष्ट न दें और सभी के प्रति सहानुभूति रखें। गौ सेवा, वृक्षारोपण, ग्रंथों का पाठ, मंदिर की सफाई जैसे कार्य करने से व्रत के फल कई गुना बढ़ जाते हैं। अपरा एकादशी को अपार पुण्य देने वाली एकादशी कहा जाता है इसलिए हर कर्म शुभ और सेवा भाव से करें।

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