Edited By ,Updated: 25 Apr, 2015 08:43 AM
शास्त्रों में शनिदेव को शांत करने के लिए दान और पूजन का विधान बताया गया है। अगर किसी जातक की जन्मकुंडली में शनि नीच राशिगत, वक्री, अशुभ स्थान का स्वामी होकर अशुभ ग्रहों के प्रभाव में हो तो शनि
शास्त्रों में शनिदेव को शांत करने के लिए दान और पूजन का विधान बताया गया है। अगर किसी जातक की जन्मकुंडली में शनि नीच राशिगत, वक्री, अशुभ स्थान का स्वामी होकर अशुभ ग्रहों के प्रभाव में हो तो शनि अपनी महादशा, अंतर्दशा, साढ़ेसाती या ढैया अवधि, जन्म, शनि पर गोचर या शनि का गोचर होने पर अशुभ फल देता है। जब तक शनि देव की कृपा प्राप्त नहीं होती, संसार में उन्नति के पथ पर बढ़ना सम्भव नहीं है।
शनिवार को पशु-पक्षियों को खिलाएं कुछ खास, होगा सुनहरे भविष्य का आगाज
* काली गाय, बंदरों और काले कुत्तों को बूंदी के लड्डू खिलाएं।
* रोटी पर सरसों का तेल लगाकर काले कुत्ते को खिलाएं।
* चील और गिद्ध के स्थान पर उनके लिए अण्डे रखें।
* काले कुत्ते को शक्कर की मीठी रोटी खिलाएं।
* कीड़े-मकौड़ों को काले तिल खिलाएं।
* चीटियों को शक्कर और आटे से बना चूरमा खिलाएं।
* उड़द के आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं।
* सांप के लिए दूध की व्यवस्था करें।
* काली गाय का पूजन करने के उपरांत परिक्रमा करें।
* शनिवार के दिन किसी तालाब, नदी में मछलियों को आटा डालें।
* कौवों को उड़द और गुड़ के बने मालपुए खिलाएं।
* फिश एक्वेरियम में मछलियों को रात भर भीगे हुए उड़द डालें।
* भैंसों को तिल-गुड़ का खल खिलाएं।
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com