इस मंदिर में हुआ था श्रीकृष्ण-रुक्मणि का हरण विवाह

Edited By Jyoti,Updated: 23 Mar, 2019 10:29 AM

avantika devi temple at uttar pradesh

श्रीकृष्ण के भारत में कई मंदिर हैं जो बहुत प्रसिद्ध हैं। आज हम आपको इनके एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका रहस्य श्रीकृष्ण और रुक्मिणी से जुड़ा हुआ है। बता दें कि इस मंदिर का नाम अवंतिका देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है।

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श्रीकृष्ण के भारत में कई मंदिर हैं जो बहुत प्रसिद्ध हैं। आज हम आपको इनके एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका रहस्य श्रीकृष्ण और रुक्मिणी से जुड़ा हुआ है। बता दें कि इस मंदिर का नाम अवंतिका देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। ये मंदिर उत्तरप्रदेश के बुंलदशहर जिले में अनूपशहर तहसील के जहांगीराबाद से लगभग 15 कि.मी दूर स्थित है। लोक मान्यता है कि गंगा नदी के तट बना यह वही मंदिर है जहां श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी से ‘हरण विवाह’ किया था। हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथ महाभारत  और श्रीमद्भागवद में इस जगह का उल्लेख किया गया है। माना जाता है कि महाभारत काल के दौरान इस मंदिर को अहार नाम से जाना जाता था।
PunjabKesari,  Avantika Devi Temple, Uttar Pradesh
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब रुक्मिणी के भाई रुकन और पिता ने उनकी शादी से तय कर दी थी। परंतु रुक्मिणी शिशुपाल से नहीं बल्कि श्री कृष्ण से शादी करना चाहती थी। उन्होंने ये बात मंदिर के पुजारी के द्वारा श्री कृष्ण तक पहुंचाई। जिसके बाद कृष्ण जी ने आकर रुक्मणि का हरण किया। मान्यता है कि देवी रुक्मिणी रोज़ाना गंगा किनारे स्थापित देवी के जिस मंदिर में पूजा करने आती थीं, वहीं श्रीकृष्ण और रुक्मिणी का मिलाप हुआ था। जो आज के समय में अवंतिका देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। बता दें मंदिर में दो मूर्तियां स्थापित हैं। बाईं तरफ मां भगवती जगदंबा विराजित हैं और दाईं तरफ सती जी विराजमान हैं। ये दोनों मूर्तियां अवंतिका देवी के नाम से प्रतिष्ठित हैं।
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यहां देवी को नहीं चढ़ाई जाती चुनरी-
मंदिर के पुजारियां का कहना है कि यहां पर देवी को पोशाक और चुनरी नहीं चढ़ाई जाती। बल्कि इसके बदले में सिंदूर, देशी घी का चोला और आभूषण चढ़ाया जाता है। ऐसा भी कहा जाता है की जो भी भक्त मां अवंतिका देवी पर सिन्दूर व देशी घी का चोला चढ़ाता है माता अवंतिका देवी उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। वहीं अविवाहित कन्याएं अगर सच्चे मन से ऐसा करती हैं तो उनकी विवाह की इच्छा जल्द पूरी होती है। इस मान्यता के पीछे ये कारण है कि यहां देवी रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने के लिए देवी का पूजन किया था। जिसके बाद ही उन्हें श्री कृष्ण पति के रूप में प्राप्त हुए थे।
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