Edited By Prachi Sharma,Updated: 15 Aug, 2025 07:56 AM

Banke Bihari Mandir News: श्री धाम वृन्दावन में प्रस्तावित श्री बांके बिहारी मंदिर कोरिडोर परियोजना को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। सेवायत समाज, इतिहासकार और ब्रजवासी इसे अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान पर सीधा हमला मानते हुए सुप्रीम...
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Banke Bihari Mandir News: श्री धाम वृन्दावन में प्रस्तावित श्री बांके बिहारी मंदिर कोरिडोर परियोजना को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। सेवायत समाज, इतिहासकार और ब्रजवासी इसे अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान पर सीधा हमला मानते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। इतिहासकार आचार्य प्रहलादबल्लभ गोस्वामी ने कहा कि वृन्दावन का महत्व सृष्टि पूर्व से है लेकिन सतयुग से लेकर आज तक यहां के साथ भेदभाव हुआ। कुम्भ महोत्सव जैसी परंपराएं यहां कभी स्थापित नहीं की गईं, शासनतंत्र ने कई बार ब्रज संस्कृति को नष्ट-भ्रष्ट किया, और आजादी के 80 साल बाद भी यह क्षेत्र बिजली, पानी, सड़क, उच्च शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। उन्होंने आरोप लगाया कि नगर पालिका को समाप्त कर वृन्दावन को मथुरा नगर निगम में मिलाना और अब कोरिडोर व मंदिर न्यास के नाम पर ब्रजवासियों को विस्थापित करना-ये सब भोले-भाले ब्रजवासियों को उनके आराध्य से दूर करने की कोशिश है।
व्यवस्था से बच सकती बृज संस्कृति, फिर जिद क्यों ?”
श्री बांके बिहारी मंदिर के मुख्य सेवाधिकारी आचार्य अनंत गोस्वामी ने सरकार के कोरिडोर निर्माण पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा- “जब उचित व्यवस्था बनाकर बृज संस्कृति को सुरक्षित रखा जा सकता है, तो सरकार कोरिडोर बनाने की ज़िद क्यों कर रही है ? यह परियोजना बृजवासियों के साथ एक तरह का धोखा है और इससे ब्रज की ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक संस्कृति को भारी नुकसान पहुंचेगा।”
उन्होंने सुझाव दिया कि भीड़ प्रबंधन के आधुनिक उपाय और दर्शनार्थियों की सुविधा बढ़ाने के लिए व्यवस्थागत सुधार किए जा सकते हैं, जिससे प्राचीन बृज की पहचान सुरक्षित रह सके। आचार्य अनंत गोस्वामी ने सभी ब्रजवासियों से अपील की कि वे अपनी परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा के लिए एकजुट होकर आवाज उठाएं। उनका कहना है कि यह सिर्फ एक धार्मिक मुद्दा नहीं, बल्कि ब्रज की आत्मा और पहचान को बचाने की लड़ाई है। आचार्य योगेंद्र बल्लभ गोस्वामी (सेवायत, श्री राधा वल्लभ मंदिर) ने कहा- “सेवायत परंपरा में सरकारी तंत्र का दखल उचित नहीं है। नौकरशाही द्वारा नियुक्त पुजारी कभी सेवा योग्य नहीं हो सकते। सरकार का यह अध्यादेश ब्रजवासियों के हितों पर कुठाराघात है।”
सुप्रीम कोर्ट में मामला
मंदिर कोरिडोर प्रोजेक्ट के खिलाफ सेवायत समाज और स्थानीय संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह परियोजना न केवल सैकड़ों साल पुराने मंदिरों और धरोहरों को प्रभावित करेगी, बल्कि हजारों स्थानीय परिवारों को विस्थापित भी कर देगी। कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है और अगली सुनवाई की तारीख तय की है।
