Edited By Prachi Sharma,Updated: 21 Dec, 2025 10:43 AM

Ram Mandir : अयोध्या में निर्माणाधीन भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के साथ-साथ परिसर में बनाए जा रहे सात पूरक मंदिरों को लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने एक अहम फैसला लिया है। ट्रस्ट ने तय किया है कि इन सभी सप्तरिषि मंदिरों के शिखरों पर...
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Ram Mandir : अयोध्या में निर्माणाधीन भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के साथ-साथ परिसर में बनाए जा रहे सात पूरक मंदिरों को लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने एक अहम फैसला लिया है। ट्रस्ट ने तय किया है कि इन सभी सप्तरिषि मंदिरों के शिखरों पर फहराई जाने वाली धर्म ध्वजाओं पर संबंधित देवी-देवताओं और महापुरुषों से जुड़े विशेष प्रतीक अंकित किए जाएंगे।
मंदिरों को मिलेगी अलग पहचान और आध्यात्मिक संदेश
इस निर्णय का उद्देश्य यह है कि श्रद्धालु दूर से ही ध्वजाओं पर बने प्रतीकों को देखकर आसानी से समझ सकें कि कौन सा मंदिर किस महापुरुष या देवी-देवता को समर्पित है। भारतीय मंदिर परंपरा में धर्म ध्वजा केवल ध्वज नहीं होती, बल्कि वह मंदिर की पहचान और उसके आध्यात्मिक स्वरूप का भी प्रतीक मानी जाती रही है।
इन सात मंदिरों पर होंगे विशिष्ट ध्वज
राम जन्मभूमि परिसर में जिन सात पूरक मंदिरों का निर्माण किया जा रहा है, वे रामकथा से जुड़े महान व्यक्तित्वों और ऋषियों को समर्पित हैं। इनमें महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी और देवी अहिल्या के मंदिर शामिल हैं।
पौराणिक प्रतीकों से सजी होंगी ध्वजाएं
प्रत्येक मंदिर की धर्म ध्वजा पर उससे जुड़े पौराणिक और आध्यात्मिक संकेतों को दर्शाया जाएगा। जैसे महर्षि वाल्मीकि के मंदिर की ध्वजा पर रामायण से जुड़ा प्रतीक हो सकता है, जबकि माता शबरी और निषाद राज के मंदिरों की ध्वजाओं पर उनकी भक्ति और जीवन प्रसंगों से जुड़े चिन्ह अंकित किए जाएंगे। इससे मंदिरों की दृश्य पहचान और भी स्पष्ट हो जाएगी।
निर्माण में दिखेगी मुख्य मंदिर जैसी भव्यता
ये सभी सात मंदिर राम मंदिर परिसर के बाहरी क्षेत्र में बनाए जा रहे हैं, ताकि श्रद्धालु मुख्य मंदिर के दर्शन के साथ-साथ इन पूरक मंदिरों तक भी सहज रूप से पहुंच सकें। इनके निर्माण में वही नक्काशीदार पत्थर उपयोग किए जा रहे हैं, जो मुख्य श्रीराम मंदिर की भव्यता और स्थापत्य शैली को दर्शाते हैं।
श्रद्धालुओं को होगी बड़ी सुविधा
अक्सर बड़े धार्मिक परिसरों में श्रद्धालुओं को यह समझने में कठिनाई होती है कि कौन सा मंदिर किस देवता या महापुरुष का है। अब धर्म ध्वजाओं पर बने विशिष्ट प्रतीकों के कारण भक्तों को मार्गदर्शन या नक्शे पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। वे दूर से ही ध्वजाओं को देखकर अपने आराध्य के मंदिर की दिशा पहचान सकेंगे।