Edited By Jyoti,Updated: 13 Apr, 2021 04:57 PM
सनातन धर्म के ग्रंथों में लगभग हर त्यौहार से जुड़ी विशेष बातें वर्णित हैं बल्कि कहा जाता है इसमें प्रत्येक व्रत व त्यौहार के साथ से उससे जुड़ी पूजन विधि के बारे में बताया गया है।
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सनातन धर्म के ग्रंथों में लगभग हर त्यौहार से जुड़ी विशेष बातें वर्णित हैं बल्कि कहा जाता है इसमें प्रत्येक व्रत व त्यौहार के साथ से उससे जुड़ी पूजन विधि के बारे में बताया गया है। इन ग्रंथों पुराणों में इन सब बातों के वर्णन का एक ही कारण है कि पूजा आदि के दौरान व्यक्ति से किसी प्रकार की कोई गलती न हो। तो इसमें कई ऐसी भी बताई गई हैं जिन्हें उन लोगों के लिए अधिक आवश्यक हैं, जो चैत्र मास में मां को समर्पित व्रत आदि रखते हैं। तो चलिए बिल्कुल भी देर न करते हुए आपको बताते हैं चैत्र नवरात्रि से संबंधित खास बातें-
जैसे कि लगभग लोग जानते हैं कि एक वर्ष में कुल 4 बार नवरात्रि आते हैं। चैत्र माह में चैत्र नवरात्रि, चौथे माह आषाढ़ में दूसरी नवरात्रि होती है जिसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। आज से यानि चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि से इस वर्ष के चैत्र नवरात्रि पर्व प्रांरभ हो चुका है, जिसका समापन 20 अप्रैल को महाअष्टमी के दिन 20 अप्रैल को होगा।
बहुत कम लोग जानते हैं चैत्र नवरात्रि को बड़ी नवरात्रि भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलजा भवानी बड़ी माता है तो वहीं चामुंडा माता छोटी माता कहलाती हैं। कहा जाता है बड़ी नवरात्रि को बसंत नवरात्रि तथा छोटी नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक इन दोनों में लगभग 6 माह की दूरी होती है।
वर्ष में पड़ने वाले 4 नवरात्रों में से चैत्र और आश्विन नवरात्रि मुख्य माने जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हे वासंती और शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। हिंदू कैलेंडप के अनुसार इनका प्रारंभ चैत्र और आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होती है। माना जाता है ये प्रतिपदा सम्मुखी शुभ होती है।
नवरात्रों के दौरान 9 देवियों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री का पूजन विधि विधान से किया जाता है। अष्टभुजाधारी देवी दुर्गा और कात्यायनी सिंह पर सवार हैं तो माता पार्वती, चन्द्रघंटा और कुष्मांडा शेर पर विराजमान हैं। शैलपुत्री और महागौरी वृषभ पर, कालरात्रि गधे पर और सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान हैं, ऐसे ही सभी देवियों की अलग-अलग सवारी होती हैं।
विभिन्न वाहन की तरह इनकी पूजा-साधना पद्धतियां भी अलग-अलग होती हैं, इन्हें लगने वाला भोग का प्रसाद भी अलग-अलग होता है। उदाहरण के तौर पर बतां दें जैसे नौ भोग और औषधि। शैलपुत्री कुट्टू और हरड़, ब्रह्मचारिणी दूध-दही और ब्राह्मी, चन्द्रघंटा चौलाई और चन्दुसूर, कूष्मांडा पेठा, स्कंदमाता श्यामक चावल और अलसी, कात्यायनी हरी तरकारी और मोइया, कालरात्रि कालीमिर्च, तुलसी और नागदौन, महागौरी साबूदाना तुलसी, सिद्धिदात्री आंवला और शतावरी।
बता दें इन नवरात्रों को अधिक खास इसलिए माना जाता है क्योंकि इसी दिन से चैत्र नवरात्रि से हिंदू नव वर्ष यानि कि नव सम्वत्सर की भी शुरुआत होती है। होली के कुछ समय बाद चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ होता है जिस दौरान मां दुर्गा की आराधना करने का विधान है।