Choti Diwali katha: भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा है छोटी दिवाली का इतिहास, पढ़ें कथा

Edited By Updated: 19 Oct, 2025 01:00 AM

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Choti Diwali katha 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, 2025 में नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली का पर्व रविवार, 19 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन को नरक चौदस, रूप चौदस और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी...

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Choti Diwali katha 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, 2025 में नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली का पर्व रविवार, 19 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन को नरक चौदस, रूप चौदस और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जो दीपावली से एक दिन पूर्व आती है। छोटी दिवाली को रूप सौंदर्य, आत्मशुद्धि और पाप मुक्ति से जुड़ा पर्व माना गया है। इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर राक्षस के वध का स्मरण किया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन यमराज की आराधना और दीपदान से मनुष्य अकाल मृत्यु से मुक्ति पाता है।

Choti Diwali

नरकासुर वध कथा – धर्म पर अधर्म की विजय
पौराणिक कथा के अनुसार, नरकासुर नाम का एक अत्याचारी राक्षस पृथ्वी पर आतंक फैला रहा था। उसने 16,000 कन्याओं को कैद कर रखा था। देवताओं और ऋषियों की प्रार्थना पर भगवान श्रीकृष्ण ने सत्यभामा के साथ मिलकर नरकासुर का वध किया। आइए जानें विस्तार से कथा-

पुरातन काल में नरकासुर नामक एक राक्षस ने अपनी शक्तियों से देवता और साधु-संतों को परेशान कर दिया था। नरकासुर का अत्याचार इतना बढ़ गया था कि उसने देवता और संतों की 16 हज़ार स्त्रियों को अपना बंधक बना लिया। नरकासुर के अत्याचारों से परेशान होकर समस्त देवता और साधु-संत भगवान श्री कृष्ण की शरण में गए। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने सभी को नरकासुर के आतंक से मुक्ति दिलाने का आश्वासन दिया।

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नरकासुर को स्त्री के हाथों से मरने का श्राप था इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया और उसकी कैद से 16 हजार स्त्रियों को आजाद करवाया। बाद में ये सभी भगवान श्री कृष्ण की 16 हजार रानियों के नाम से जानी जाने लगी। नरकासुर के वध के बाद लोगों ने कार्तिक मास की अमावस्या को अपने घरों में दीपक जलाए और तभी से नरक चतुर्दशी का त्यौहार मनाया जाने लगा।

नरकासुर के मरने के बाद देवताओं ने प्रसन्न होकर दीप जलाकर विजय उत्सव मनाया। उसी दिन से इस तिथि को नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली कहा जाने लगा। यह दिन सत्य, धर्म और प्रकाश की अंधकार पर विजय का प्रतीक है।

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