Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Jun, 2022 12:06 PM
विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न देवी जी का जन्म माझे के गांव वल्टोहा में पिता मास्टर अमीर चंद तथा माता राज रानी के यहां सन् 1950 में हुआ। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पट्टी में ही हुई। कुछ समय के बाद मास्टर जी ने परिवार सहित
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Deva Ji Patti wala: विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न देवी जी का जन्म माझे के गांव वल्टोहा में पिता मास्टर अमीर चंद तथा माता राज रानी के यहां सन् 1950 में हुआ। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पट्टी में ही हुई। कुछ समय के बाद मास्टर जी ने परिवार सहित वल्टोहा से पट्टी आकर यहां काजियां मोहल्ला में अपना निवास स्थान बनाया। तब तक परिवार को यह अनुभव नहीं था कि उनके यहां किस दिव्य गुण सम्पन्न हस्ती ने जन्म लिया है। धीरे-धीरे देवी जी का आध्यात्मिक रूप विकसित होने लगा। इलाके में देवी जी के प्रताप और वचनों की महिमा फैलने लगी।
लगभग 30 वर्ष पूर्व देवी जी ने परिवार सहित पट्टी से जालंधर आ कर कुछ समय पश्चात मोहल्ला गोबिंदगढ़ में एक स्थान पर अपना आश्रम स्थापित किया और फिर इसी स्थान पर एक भव्य मंदिर का निर्माण अपनी संगत और श्रद्धालुओं के सहयोग से करवाया।
फिर उन्होंने माता चिंतपूर्णी के दरबार से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव किन्नू (भरवाईं) के निकट भूमि खरीदकर एक सुंदर मंदिर का निर्माण करवाने के अलावा अपने पट्टी वाले पैतृक मकान को भी मंदिर का स्वरूप देकर वहां भी मूर्ति स्थापना करवाई।
पट्टी के मंदिर की ऊपरी मंजिल पर अमर शहीद लाला जगत नारायण जी की स्मृति में बच्चियों के लिए सिलाई-कढ़ाई का मुफ्त प्रशिक्षण स्कूल खोला। कई वर्षों से चल रहे इस स्कूल में प्रशिक्षण प्राप्त करके हजारों बच्चियों ने अपना जीवन सफल बनाया है। देवी जी ने अपना सारा जीवन धर्म-कर्म और समाज कल्याण के लिए अर्पित कर रखा है। उनकी संगत पंजाब सहित कई प्रांतों और विदेशों में भी है। जालंधर, पट्टी और किन्नू में इनके स्थापित किए हुए मंदिरों में प्रतिदिन नियमित रूप से दोनों समय आरती और भजन-कीर्तन होते हैं।