Hedgewar Death Anniversary: 8 वर्ष की आयु में किया ऐसा काम, जानकर आप भी करेंगे सलाम

Edited By Updated: 21 Jun, 2022 10:28 AM

dr keshav hedgewar death anniversary

97 वर्ष पूर्व डा. केशव राव बलिराम हेडगेवार ने एक ऐसे संगठन ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ की स्थापना की जो आज विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठनों में से एक है और उसमें से निकले कार्यकर्ता देश की सरकार

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Dr Keshav Hedgewar Death Anniversary: 97 वर्ष पूर्व डा. केशव राव बलिराम हेडगेवार ने एक ऐसे संगठन ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ की स्थापना की जो आज विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठनों में से एक है और उसमें से निकले कार्यकर्ता देश की सरकार चला रहे हैं। 1 अप्रैल, 1889 को नागपुर के एक गरीब परिवार में पिता बलिराम और माता रेवती बाई के यहां जन्मे बालक केशव के मन में शुरू से ही देशभक्ति और समाज के प्रति संवेदनशीलता की भावना कूट-कूट कर भरी थी। 

उनकी देशभक्ति की पहली झलक 8 वर्ष की आयु में देखने को मिली जब उन्होंने इंगलैंड की रानी विक्टोरिया के शासन के 60 वर्ष होने पर बांटी गई मिठाई न खाकर कूड़े में फैंक दी। स्कूली जीवन में ही छत्रपति शिवाजी महाराज की जीवनी पढ़कर उनके मन में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विचारों के बीज पड़ चुके थे। 

इन्हीं कारणों से उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया, तब इन्होंने मैट्रिक तक पढ़ाई पूना के नैशनल स्कूल में पूरी की। 1910 में जब डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) गए तो वहां ‘अनुशीलन समिति’ नामक क्रांतिकारी संस्था से जुड़ गए। फिर 1915 में नागपुर लौटने पर वह कांग्रेस में सक्रिय हो गए और विदर्भ प्रांतीय कांग्रेस के सचिव बने। 1921 में कांग्रेस के असहयोग आंदोलन में सत्याग्रह कर गिरफ्तारी दी जिसके लिए इन्हें 1 वर्ष की जेल हुई।

इस दौरान मिले अनुभवों ने उन्हें सोचने को विवश किया कि समाज में जिस एकता की कमी और धुंधली पड़ी देशभक्ति की भावना के कारण हम परतंत्र हुए हैं, वह केवल कांग्रेस के जन आंदोलन से जागृत और मजबूत नहीं हो सकती।  विघटनवादी प्रवृत्ति को दूर करने के लिए कुछ भिन्न उपायों की जरूरत है। इसी चिन्तन का प्रतिफल थी ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ नाम से संस्कारशाला के रूप में शाखा पद्धति की स्थापना जो दिखने में साधारण किन्तु परिणाम में चमत्कारी सिद्ध हुई। उन्होंने 1925 में विजयदशमी के अवसर पर इसकी स्थापना की। 

1929 में लाहौर में हुए कांग्रेस अधिवेशन में पूर्व स्वराज का प्रस्ताव पास किया गया और 26 जनवरी 1930 को देश भर में तिरंगा फहराने का आह्वान किया तो डा. हेडगेवार के निर्देश पर सभी संघ शाखाओं में 30 जनवरी को तिरंगा फहराकर पूर्ण स्वराज प्राप्ति का संकल्प लिया गया। 

दिसम्बर, 1930 में गांधी जी के नमक कानून विरोधी आन्दोलन में भी उन्होंने सहयोगियों के साथ भाग लिया जिसमे उन्हें 9 माह की कैद हुई। 

समाज में स्वार्थ, छुआछूत, ऊंच-नीच की भावना, परस्पर सहयोग की कमी, स्थानीय नेताओं के संकुचित दृष्टिकोण को वह एक भयंकर बीमारी मानते थे। 

इन सब बुराइयों से दूर होकर देश के हर व्यक्ति को चरित्र निर्माण व देश सेवा के लिए संगठित करना ही संघ-शाखा का उद्देश्य है। इसी उद्देश्य के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन लगा दिया और अपने स्वास्थ्य तक की परवाह नहीं की जिस कारण उन्हें गंभीर बीमारियों ने घेर लिया। 

वह तेज बुखार में भी कार्य करते रहे। 21 जून, 1940 को उनकी आत्मा अनंत में विलीन हो गई। नागपुर के रेशम बाग में इनका अंतिम संस्कार किया गया जहां आज उनका स्मृति स्थल बना है।    

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!