Engineers Day 2025: भारत के इंजीनियरिंग के सितारे, जिन्होंने दुनिया में चमकाया देश का नाम

Edited By Updated: 15 Sep, 2025 06:48 AM

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Engineers Day 2025: हर साल 15 सितंबर को भारत में इंजीनियर्स डे मनाया जाता है, जो देश के इंजीनियरिंग क्षेत्र में योगदान देने वाले महान व्यक्तियों को सम्मानित करने का दिन है।

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Engineers Day 2025: हर साल 15 सितंबर को भारत में इंजीनियर्स डे मनाया जाता है, जो देश के इंजीनियरिंग क्षेत्र में योगदान देने वाले महान व्यक्तियों को सम्मानित करने का दिन है। ये दिन हमें उन अभिनव दिमागों और मेहनती आत्माओं की याद दिलाता है, जिन्होंने तकनीकी और वैज्ञानिक उन्नति के माध्यम से भारत को एक नई पहचान दिलाई। भारत के ये इंजीनियर न केवल देश के विकास के स्तंभ हैं, बल्कि उन्होंने विश्व स्तर पर भी अपनी प्रतिभा और समर्पण से भारत का नाम गर्व से बुलंद किया है। आइए, इस इंजीनियर्स डे पर हम उन प्रेरणादायक सितारों को याद करें, जिन्होंने अपनी मेहनत और सोच से हमारे देश को तकनीकी क्षेत्र में एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया।

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मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया
15 सितंबर, 1861 को कर्नाटक के मैसूर जिले में एक छोटे से गांव चिक्काबल्लापुर में जन्मे विश्वेश्वरैया ने पुणे से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और तत्कालीन बॉम्बे सरकार के लोक निर्माण विभाग में असिस्टैंट इंजीनियर के रूप में अपना करियर शुरू किया। उन्होंने ओडिशा, हैदराबाद और महाराष्ट्र में कई परियोजनाओं से अपनी इंजीनियरिंग प्रतिभा का लोहा मनवाया। कृष्णा राज सागर बांध जैसी विशाल सिंचाई परियोजना उन्हीं की देन है। जल विद्युत उत्पादन में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। हैदराबाद में बाढ़ से बचाव के लिए किए गए उपाय को लेकर उन्हें आज भी याद किया जाता है।

सतीश धवन
उनको ‘फ्लूड डायनैमिक्स रिसर्च का जनक’ माना जाता है। वह इसरो के तीसरे चेयरमैन रहे और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को आसमान पर पहुंचाया। मैकेनिकल इंजीनियरिंग के साथ ही उन्होंने इंगलिश लिटरेचर में एम.ए. भी की थी। मैथ्स और एरोस्पेस इंजीनियरिंग में वह डबल पी.एच.डी. थे।

ई. श्रीधरन
उनको ‘मैट्रो मैन ऑफ इंडिया’ के रूप में जाना जाता है। इंडियन इंजीनियरिंग सॢवस के रिटायर अफसर श्रीधरन ने भारत के सार्वजनिक परिहन सिस्टम में अहम योगदान दिया। दिल्ली में मैट्रो रेल का जाल बिछाने में उनकी महती भूमिका रही, तो कोलकाता मैट्रो प्रोजैक्ट में भी उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।

कल्पना चावला
वह अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला थीं। पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने यूनिवॢसटी ऑफ कोलोराडो से एरोस्पेस इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। 1997 में वह अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा पर गई थीं। 2003 में दूसरी अंतरिक्ष यात्रा से लौटते हुए यान क्रैश होने से उनकी मौत हो गई।

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डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
भारत के 11वें राष्ट्रपति डॉ. अबुल पाकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम को ‘मिसाइल मैन ऑफ इंडिया’ के रूप में जाना जाता है। साल 1960 में उन्होंने मद्रास इंस्टीच्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी से ग्रैजुएशन की। उन्होंने बैलिस्टिक मिसाइलों और लांच व्हीकल तकनीक के विकास में अहम भूमिका निभाई। पोखरण परमाणु परीक्षण का भी वह अहम हिस्सा रहे। उन्होंने ही पहला इंडीजनस होवरक्राफ्ट डिजाइन किया था।

वर्गीज कुरियन
वर्गीज कुरियन को आज भी स्कूलों के पाठ्यक्रम में ‘भारत में श्वेत क्रांति के जनक’ के रूप में पढ़ाया जाता है। भारत में दूध की कमी दूर कर एक्सपोर्ट तक में सक्षम बनाने वाले कुरियन ने कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, चेन्नई और अमरीका की मिशिगन स्टेट यूनिवॢसटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। आनंद और अमूल कोऑपरेटिव मॉडल उन्हीं की देन है।

विनोद धाम
वह पेंटियम माइक्रोप्रोसैसर चिप के जनक हैं। वह फ्लैश मैमोरी टैक्नोलॉजी के सह-आविष्कारक भी हैं, जिसे सामान्य तौर पर एस.डी. कार्ड के रूप में जाना जाता है। पेंटियम किलर के रूप में जाने जाने वाले एएमडी के 6 के आविष्कार का श्रेय उन्हीं को है। उन्होंने 1971 में दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी।

शकुंतला ए. भगत
सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अग्रणी शकुंतला ए. भगत ने भारत की पहली महिला सिविल इंजीनियर के रूप में इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया। वह मुंबई स्थित निर्माण कंपनी क्वाड्रिकॉन के पीछे की दूरदर्शी शक्ति थीं जिसने यू.के., यू.एस., और जर्मनी जैसे देशों में फैले दुनिया भर के 200 से अधिक पुलों के लिए अभिनव डिजाइन तैयार करके एक प्रमुख स्थान बनाया है। उन्हें अनेक सम्मान मिले हैं।

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