Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Jul, 2023 09:10 AM
जालंधर (धवन): भारत के एक राज्य में वक्फ बोर्ड की ओर से एक मुस्लिम संगठन द्वारा जारी फतवे के आधार पर अहमदिया मुस्लिम समुदाय को
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जालंधर (धवन): भारत के एक राज्य में वक्फ बोर्ड की ओर से एक मुस्लिम संगठन द्वारा जारी फतवे के आधार पर अहमदिया मुस्लिम समुदाय को गैर मुस्लिम घोषित किया गया था। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने इस संबंध में कार्रवाई की और अहमदियों के खिलाफ इस फैसले को अवैध व असंवैधानिक करार दिया।
अहमदिया मुस्लिम जमात इंटरनेशनल (इंडिया) के प्रैस सचिव के. तारिक अहमद ने अल्पसंख्यक मंत्रालय के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि हमारा देश लोकतांत्रिक देश है जहां विभिन्न धर्मों व मतों को मानने वाले लोग आपसी प्रेम व भाईचारे से रहते हैं। भारतीय संविधान के अनुसार हर इंसान को यह अधिकार है कि वह किसी भी धर्म का पालन कर सकता है। इसके बावजूद कुछ मुस्लिम संगठनों व वक्फ बोर्ड द्वारा अहमदिया मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों को छीनने की कार्रवाई की जाती है।
अहमदिया समुदाय के अनुसार मुसलमान की वही परिभाषा स्वीकार्य व व्यावहारिक है जो निश्चित रूप से पवित्र कुरान से प्रमाणित हो। इस्लाम के संस्थापक हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने जो मुसलमान की परिभाषा दी है उसका अहमदिया मुस्लिम समुदाय पूरे दिल व आत्मा से पालन करता है। अहमदियों के बारे में मौलवियों द्वारा झूठा प्रचार किया जाता है कि वे इस्लाम के संस्थापक को नहीं मानते या उनका कलमा अलग है। ये सब बातें झूठी हैं। अहमदिया मुस्लिम समुदाय का कलमा भी वही कलमा है। भारत सरकार द्वारा 2011 की जनगणना के अनुसार अहमदिया मुस्लिम समुदाय को इस्लाम के एक फिरके के रूप में मान्यता मिली हुई है। उन्होंने कहा कि अहमदियों के सामाजिक बहिष्कार के संबंध में सार्वजनिक प्रैस विज्ञप्ति जारी करना देश में नफरत फैलाने और भारतीयों की एकता को तोड़ने का कारण बन सकता है।