Ganesha Idols For Home : बप्पा की सूंड खोलती है घर में धन और आनंद के द्वार, गणेश चतुर्थी पर लाएं ये स्वरुप

Edited By Updated: 20 Aug, 2025 03:43 PM

ganesha idols for home

Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी का उत्सव कहीं एक दिन तो कहीं 10 दिनों तक (अनंत चतुर्दशी तक) बड़े उत्साह से मनाया जाता है। गणपति की मूर्ति स्थापित कर, विधिवत पूजा, मंत्रोच्चार और आरती के साथ गणेश जी का स्वागत किया जाता है। भक्त गणेश जी को मोदक,...

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Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी का उत्सव कहीं एक दिन तो कहीं 10 दिनों तक (अनंत चतुर्दशी तक) बड़े उत्साह से मनाया जाता है। गणपति की मूर्ति स्थापित कर, विधिवत पूजा, मंत्रोच्चार और आरती के साथ गणेश जी का स्वागत किया जाता है। भक्त गणेश जी को मोदक, दूर्वा घास, लाल फूल, लड्डू और गुड़ चढ़ाते हैं। अंतिम दिन गणेश विसर्जन किया जाता है, जिसमें भक्त "गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ" के जयघोष के साथ मूर्ति को जल में विसर्जित करते हैं।

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गणेश चतुर्थी पर भगवान श्री गणेश जी की विभिन्न सूंड वाली आकृतियों का दर्शन पूजन किया जाता है। गणेश जी की सूंड की दिशा का अपना विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है। संतान सुख की कामना करने वाले व्यक्तियों को बाल गणेश स्वरूप का पूजन करना चाहिए, इससे संतान कामना शीघ्र पूर्ण होती है, और संतान बुद्धिमान, स्वस्थ एवं पराक्रमी भी होती है। नृत्य करते हुए गणपति की छवि का पूजन विशेष रूप से कला जगत से जुड़े व्यक्तियों को करना चाहिए। इनका यह स्वरूप धन और आनंद देने वाला स्वरुप है। लेटी हुई मुद्रा में गणपति की छवि का पूजन करने से घर में सुख और आनंद का स्थायी निवास रहता है। सिंदूरी रंग के गणेश जी को वास्तु दोष दूर करने के लिए घर के मुख्य द्वार पर लगाया जाता है। ध्यान रखें कि ये बाईं ओर की सूंड की छवि वाले गणपति हों, इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है और नकारात्मक ऊर्जा घर से बाहर रहती है।     

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दक्षिणमुखी गणेश जी
गणपति जी की सूंड का अग्रभाग दाईं ओर मुड़ा होने पर उन्हें दक्षिणामुखी गणपति कहा जाता है। दाईं बाजू सूर्य नाड़ी का प्रतिनिधित्व करती है। इसके जागृत  होने पर व्यक्ति अधिक तेजस्वी और आत्मविश्वासी होता है। ऐसे गणेश जी को सिद्धि विनायक भी कहा जाता है। इनकी स्थापना घर में न कर मंदिर में ही की जाती है।

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वाममुखी गणेश जी
गणपति जी के जिस स्वरूप में सूंड का अगला भाग बाईं ओर मुड़ा हो, और वह भगवान की बाईं भुजा को स्पर्श करता हो, ऐसे स्वरूप को वाममुखी गणपति कहा जाता है। इनका एक अन्य नाम वक्रतुंड भी है। वामभाग का प्रभाव उत्तर दिशा में अधिक रहता है, इसका  कारण चंद्रनाड़ी है जो शीतलता की प्रतीक है। गृहस्थ जीवन जीने वाले व्यक्तियों के लिए इनके इस स्वरूप के दर्शन पूजन करना विशेष शुभ माना जाता है।  

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सीधी सूंड वाले गणेश जी  
गणपति जी की जिस छवि में उनकी सूंड सीधी हो, वह सुष्मना नाड़ी को प्रभावित करने वाली मानी जाती है। इस छवि के दर्शन पूजन करने से ऋद्धि-सिद्धि, कुंडलिनी जागरण, मोक्ष प्राप्ति और समाधि आदि के लिए अति उत्तम मानी जाती है। सिद्ध संत और सन्यासी उनके इस स्वरूप का दर्शन पूजन विशेष रूप से करते हैं।

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