गरुड़ पुराण: किसी भी शुभ काम पर जाते समय करें गाय के पैरों के दर्शन, मिलेगी मनचाही सफलता

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Jan, 2018 03:31 PM

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मनुष्य जीवन में पुण्य प्राप्ति के लिए बहुत से धर्म कार्य करता है। धार्मिक शास्त्रों में एेसे कई कामों के बारे में वर्णन किया गया ह। जिन्हें करने से मनुष्य को पुण्य की प्राप्ति होती है। लेकिन एक पुराण है गरुड़ पुराण,

मनुष्य जीवन में पुण्य प्राप्ति के लिए बहुत से धर्म कार्य करता है। धार्मिक शास्त्रों में एेसे कई कामों के बारे में वर्णन किया गया ह। जिन्हें करने से मनुष्य को पुण्य की प्राप्ति होती है। लेकिन एक पुराण है गरुड़ पुराण, जिसमें एेसी कुछ बातों के बारे में बताया गया है। जिन्हें केवल देशने मात्र से ही पुण्य और लाभ दोनों की प्राप्ति होती है। 

 

श्लोक
गोमूत्रं गोमयं दुन्धं गोधूलिं गोष्ठगोष्पदम्।
पक्कसस्यान्वितं क्षेत्रं द्ष्टा पुण्यं लभेद् ध्रुवम्।।


 
अर्थात- गोमूत्र, गोबर, गोदुग्ध, गोधूली, गोशाला, गोखुर और पकी हुई खेती से भरा खेत देखने से पुण्य-लाभ होता है।

 

गोमूत्र
गाय हिंदू धर्म में पूजनीय है। शास्त्रों में गाय को भगवान के समान माना जाता है। गाय के गोबर का भी बहुत महत्व है। हिंदू शास्त्रों में गोमूत्र को बहुत ही पवित्र माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार गोमूत्र में मां गंगा का वास होता है। गोमूत्र को औषधि के रूप में भी उपयोग किया जाता है। इसे पीने से कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। गोमूत्र को धारण करने मनुष्य की मनोकामनाएं पूरी होती हैं, लेकिन गरुड़ पुराण के अनुसार गोमूत्र को केवल देख लेने से ही मनुष्य को पुण्य और लाभ की प्राप्ति हो जाती है।

 

गोबर
किसी भी स्थान को पवित्र करने के लिए गाय का गोबर का प्रयोग किया जाता है। यदि मनुष्य पवित्र भावना से गाय के गोबर को मात्र देख भी ले तो ही उसे पुण्य की प्राप्ति हो जाती है।


गोदुग्ध
गाय के दूध के कई फायदे होते हैं। गाय का दूध कई रोगों के लिए दवाई का काम भी करता है। कलियुग में गाय का दूध भी अमृत के समान बताया गया है। जो मनुष्य गाय के दूध देते हुए देख ले, उसे निश्चित ही शुभ फल मिलता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।


गोधूलि
कई बार गाय अपने पैरों से जमीन को खुरचती है। ऐसा करने पर जमीन से जो धूल निकलती है, उसे गोधूलि कहते है। कहा जाता है गाय के पैरों से खुरचीं हुई धूल भी पवित्र हो जाती है। गोधूली को देख लेने मात्र से ही मनुष्य को कई गुना पुण्य मिल जाता है।


गौशाला
जिस स्थान पर गायों को रखा जाता है, उसे गौशाला कहते हैं। गौशाला भी मंदिर के समान पवित्र और पूजनीय होती है। जो मनुष्य रोज गौशाला जाकर गायों की सेवा करता है, उसे निश्चिंत ही भगवान कृष्ण के धाम गोलोक की प्राप्ति होती है। जो मनुष्य परिस्थितियों की वजह से गौशाला में सेवा न भी कर सके, वह अगर पवित्र मन से गौशाला के दर्शन कर ले तो भी उसे पुण्य की प्राप्ति हो जाती है।

 

गोखुर
गाय अपने पैर के नीचले स्थान से जमीन को खुरचती है, उसे ही गोखुर कहते है। गाय के पैरों को तीर्थ के समान माना जाता है। किसी भी शुभ काम पर जाते समय अगर गाय के पैरों के दर्शन कर लिए जाए, तो काम में सफलता जरूर मिलती है। गाय के पैरों के दर्शन करना भी पुण्य और लाभ पाने का आसान उपाय है।

 

पकी हुई खेती
फसलों से भरे हुए खेत देखना हर किसी को पसंद होता है। हरे-भरे खेतों को देखकर मन को शांति मिलती है। फसलों से भरे हुए खेत केवल सुंदरता ही नहीं पुण्य के भी प्रतीक होते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, पकी हुई फसलों से भरे हुए खेत को देखने से मनुष्य पुण्य और लाभ मिलता है।

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