Edited By Jyoti,Updated: 08 Aug, 2019 10:20 AM
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति की जन्मपत्री उसके अपने माता-पिता के रिश्ते को दर्शाती है। तो वहीं ग्रहों की स्थिति कहती है कि कुंडली के योगों के रूप में हम यानि इंसान रहता है और इसी में इसका सारा जीवनचक्र रहता है।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति की जन्मपत्री उसके अपने माता-पिता के रिश्ते को दर्शाती है। तो वहीं ग्रहों की स्थिति कहती है कि कुंडली के योगों के रूप में हम यानि इंसान रहता है और इसी में इसका सारा जीवनचक्र रहता है। कहने का मतलब है प्रत्येक व्यक्ति का सारा संसार उसकी जन्म कुंडली में समाहित रहता है यानि जातक और जातक के माता-पिता भी
जन्मपत्री बहुत खूबसूरती के साथ माता-पिता और बच्चे के रिश्ते को दर्शाती है। प्रत्येक जन्मपत्री में ग्रहों की स्थिति यह कहती है कि कुंडली के योगों के रूप में इसमें हम रहते हैं और हमारा सारा जीवनचक्र भी रहता है। व्यक्ति और उसका सारा संसार कुंडली में समाहित रहता है। इसी प्रकार जन्मपत्री में स्वयं जातक और जातक के माता-पिता सम्मिलित होते हैं। कहा जाता है कुंडली विशलेषण द्वारा हम अपने माता-पिता को और हमारे माता-पिता हमें जान सकते हैं। इस प्रकार जन्मपत्री हमारी क्षमता विकसित करने में सहायता करती है।
प्रत्येक जन्मपत्री में ग्रह स्थिति, ग्रहयोग और ग्रह युति होती है। इसे कुंडली का डी.एन.ए. भी कहा जा सकता है जिसमें इस जन्म तथा पूर्वजन्म के रिश्तों और आने वाले जीवन की कथा लिखी होती है। कुंडली के इस पैटर्न को हम काफी हद तक अपने माता-पिता की कुंडली में भी देख सकते हैं। जन्म कुंडली आत्मा की यात्रा का एक नक्शा है, जिसका ज्ञान हमारे जीवन को प्रबुुद्ध और बदल सकता है। आपके बच्चे में छुपी अद्वितीय योग्यता, ऊर्जा और विशिष्टता के पैटर्न को समझाने के बाद, आप उसका पहले से बेहतर पालन-पोषण कर सकते हैं। इस प्रकार आप उन्हें जीवन की इस भूलभुलैयां से बाहर लाकर सफलता और उन्नति के नए आयाम दे सकते है।
माता-पिता बच्चे की धारणा से उनके पालन-पोषण के बारे में बहुत कुछ जान सकते हैं। जब हम बच्चे की जन्मपत्री को देखते हैं, उसमें छुपे गुण और अवगुणों को जानते हैं तो हम उसे बेहतर रूप में समझ सकते हैं। जन्मपत्री मात्र जन्मपत्री न होकर हमारे सामने उनकी आत्मा का एक नक्शा है जिसमें बालक के मनोवैज्ञानिक मेकअप, चरित्र, चुनौतियां, कर्म-धर्म, उपचार क्षमता और बहुत कुछ शामिल है।
यह अमूल्य ज्ञान अभिभावक को उनकी भूमिका में कार्यवाहक, संरक्षक और शिक्षक के रूप में सहायता कर सकता है। अपने बच्चों के इन बहुमुखी पहलुओं को पहचान कर हम उन्हें हमारी और स्वयं उनकी दिव्य पहचान के प्रति जागरूक कर सकते हैं या इसमें उनकी सहायता कर सकते हैं।
जन्मपत्री का विशलेषण करने में ज्योतिषी की मदद बहुत लाभकारी मानी जाती है। इसके द्वारा माता-पिता के व्यवहार को उनके अनुरूप बदलने के लिए कह सकता है जो बालक की भलाई के लिए आवश्यक हो।
साथ ही माता-पिता को यह पहचानने में मदद करता है कि वे अपने बच्चे के विकास और खुशी में किस प्रकार महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
ज्योतिष विद्या के बिना भी, एक अभिभावक जो अपने बालक का पालन-पोषण कर रहा है, वह बच्चे की प्रकृति की जटिलताओं और बारीकियों को अपने स्तर पर समझने का प्रयास करता है। ज्योतिष का उद्देश्य सहज ज्ञान को कम करना या बदलना नहीं है बल्कि एक समृद्ध प्रतीकात्मक रूप में मार्गदर्शन करना है।