Hanuman Jayanti: हनुमान जी के ये 11 नाम हैं रहस्यमयी, इनके जाप से दूर होंगे संकट

Edited By Jyoti,Updated: 25 Apr, 2021 01:47 PM

hanuman jayanti 2021

27 अप्रैल को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन प्रत्येक वर्ष हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं हैं कि इस दिन पवनपुत्र हनुमान जी का जन्म हुआ था

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27 अप्रैल को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन प्रत्येक वर्ष हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं हैं कि इस दिन पवनपुत्र हनुमान जी का जन्म हुआ था, जिस कारण इस दिन का काफी महत्व है। धार्मिक ग्रंथों व शास्त्रों आदि में हनुमान जी के बारे में बहुत सी बातें बताई गई हैँ। इसमें इनके कई नामों का वर्णन मिलता है। जिनसे कोई न कोई रहस्य जुडा हुआ है। आज हम आपको इनके 11 ऐसे नामों के बारे में बताने वाले हैं, जो सबसे ज्यादा खास माने जाते हैँ। साथ ही इस बारे में भी जानकारी देंगे कि ये नाम क्यों खास है और इनकी खासियत क्या है? 

बहुत कम लोग जानते हैं कि हनुमान जी के बचपन का नाम मारुति था, जो दरअसल उनका सबसे पहला व असली नाम था। 

* देवी अंजना के पुत्र होने से इन्हें अंजनी पुत्र व आंजनेय भी कहा जाता है। तो वही पिता केसरी के नाम से भी इन्हें जाना जाता हैं। हनुमान चालीस में इन्हें कई जगह केसरीनंदर संबोधित किया गया हैै। 

कथाओं के अनुसार बचपन में जब मारुति ने सूर्य को अपने मुख में भर लिया था तो तब इंद्र देव ने क्रोधिक होकर उन पर अपने वज्र से वार कर दिया। जिससे मारुति की हनु यानि ठोड़ी पर लगा, जिससे उनकी ठोड़ी टूट गई और सूज गई, यही कारण हैं कि इन्हें हनुमान जी कहा जाने लगा। 

सनातन धर्म के अनुसार हनुमान जी वायु देव के पुत्र हैं, जिस कारण इन्हें पवन पुत्र व वायु पुत्र भी कहा जाता है। बता दें इस काल में वायु को मारुत भी कहा जाता था। जिस कारण इन्हें मारुति नंदन भी कहा जाता है। 

चूंकि हनुमान जी भगवान शंकर के रुद्रावतार कहलाते हैं, इसलिए इन्हें शंकर सुवन अर्थात उनका अंश व पुत्र कहा जाता है। 

पवनपुत्र हनुमान जो को बजंरगबली के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के इसका अर्थ होता है कठोर यानि बलवान शरीर। 

* रामायण के अनुसार इन्हें कपिश्रेष्ठ भी कहा जाता है। कथाएं हैं कि इनका जन्म कपि नामक वानर जाति में हुआ था।  रामायण के साथ साथ अन्य ग्रंथों में हनुमान जी और उनके सजातीय बांधव सुग्रीव अंगदादि के नाम के साथ 'वानर, कपि, शाखामृग, प्लवंगम' आदि विशेषण प्रयुक्त किए गए। उनकी पुच्छ, लांगूल, बाल्धी और लाम से लंकादहन इसका प्रमाण है कि वे वानर थे। रामायण में वाल्मीकिजी ने जहां उन्हें विशिष्ट पंडित, राजनीति में धुरंधर और वीर-शिरोमणि प्रकट किया है, वहीं उनको लोमश ओर पुच्छधारी भी शतश: प्रमाणों में व्यक्त किया है। अत: सिद्ध होता है कि वे जाति से वानर थे।

इसके अतिरिक्त हनुमान जी को वानर यूथपति भी कहा जाता है। उस काल में वानर सेना में हर झूंड का एक सेनापति होता था जिसे यूथपति कहते थे। रामायण के अनुसार अंगद, दधिमुख, मैन्द- द्विविद, नल, नील और केसरी आदि कई यूथपति थे। 

प्रभु श्री राम के अनन्य भक्त होने के कारण इन्हें रामदूत भी कहा जाता है। 

कथाओं के अनुसार जब हनुमान जी पातल लोक में अहिरावण का वध करने जब वे गए तो वहां पांच दीपक उन्हें पांच जगह पर पांच दिशाओं में मिले जिसे अहिरावण ने मां भवानी के लिए जलाए थे। जिनके एक साथ बुझने पर अहिरावन का वध होना था। इन्हें बुझाने के लिए हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धरा। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख। इस रूप को धरकर उन्होंने वे पांचों दीप बुझाए तथा अहिरावण का वध कर श्रीराम,लक्ष्मण को उस से मुक्त किया। तो वहीं अन्य मान्यता के अनुसार मरियल नामक दानव को मारने के लिए भी इन्होंने यही रूप धारा था।

इसके अलावा ये भी पढ़ें- 
दोहा :
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥

स्तुति :
हनुमान अंजनी सूत् र्वायु पुत्रो महाबलः।
रामेष्टः फाल्गुनसखा पिङ्गाक्षोऽमित विक्रमः॥
उदधिक्रमणश्चैव सीता शोकविनाशनः।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा॥
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मनः।
सायंकाले प्रबोधे च यात्राकाले च यः पठेत्॥
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।

यहां पढ़ें हनुमानजी के चमत्कारिक नाम  व उनका अर्थात-
.हनुमान हैं (टूटी हनु)
अंजनी सूत, (माता अंजनी के पुत्र)
वायुपुत्र, (पवनदेव के पुत्र).
महाबल, (एक हाथ से पहाड़ उठाने और एक छलांग में समुद्र पार करने वाले महाबली)
रामेष्ट (राम जी के प्रिय)
फाल्गुनसख (अर्जुन के मित्र)
पिंगाक्ष (भूरे नेत्र वाले)
अमितविक्रम, ( वीरता की साक्षात मूर्ति)
उदधिक्रमण (समुद्र को लांघने वाले)
सीताशोकविनाशन (सीताजी के शोक को नाश करने वाले)
लक्ष्मणप्राणदाता (लक्ष्मण को संजीवनी बूटी द्वारा जीवित करने वाले)
दशग्रीवदर्पहा (रावण के घमंड को चूर करने वाले)

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