प्रेमानंद जी महाराज से जानें हनुमान जी की कृपा पाने के आसान उपाय

Edited By Updated: 18 Dec, 2025 04:11 PM

vrindavan saint premanand ji teachings

कलियुग के जाग्रत देव कहे जाने वाले हनुमान जी की भक्ति में वह शक्ति है, जो असंभव को भी संभव बना सकती है। अक्सर भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए कठिन अनुष्ठान और जटिल विधियां खोजते हैं, लेकिन वृंदावन के परम पूज्य प्रेमानंद जी महाराज का दृष्टिकोण अत्यंत...

कलियुग के जाग्रत देव कहे जाने वाले हनुमान जी की भक्ति में वह शक्ति है, जो असंभव को भी संभव बना सकती है। अक्सर भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए कठिन अनुष्ठान और जटिल विधियां खोजते हैं, लेकिन वृंदावन के परम पूज्य प्रेमानंद जी महाराज का दृष्टिकोण अत्यंत सरल और हृदय को छू लेने वाला है। महाराज जी के अनुसार, हनुमान जी केवल सिंदूर या प्रसाद से प्रसन्न नहीं होते, बल्कि वे भक्त के 'भाव' और उसके 'राम प्रेम' के भूखे हैं। हनुमान जी की कृपा पाने का अर्थ है अपने जीवन में अनुशासन, सेवा और भक्ति का समावेश करना। यदि आप भी जीवन की बाधाओं से घिरे हैं या मानसिक शांति की तलाश में हैं, तो प्रेमानंद जी महाराज द्वारा बताए गए ये सरल सूत्र आपके जीवन की दिशा बदल सकते हैं।

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राम नाम का आश्रय
महाराज जी कहते हैं कि हनुमान जी को प्रसन्न करने का सबसे सरल और सीधा रास्ता 'राम नाम' का जप है। हनुमान जी स्वयं भगवान राम के सबसे बड़े भक्त हैं। जहाँ राम कथा होती है या जहाँ राम नाम का संकीर्तन होता है, हनुमान जी वहां अदृश्य रूप में वास करते हैं। यदि आप हनुमान जी की कृपा चाहते हैं, तो नियमित रूप से 'राम-राम' का जप करें।

हनुमान चालीसा का पाठ 
हनुमान चालीसा की हर चौपाई एक मंत्र है। महाराज जी बताते हैं कि चालीसा का पाठ केवल जीभ से नहीं, बल्कि हृदय से करना चाहिए। पाठ करते समय अपना पूरा ध्यान हनुमान जी के स्वरूप पर केंद्रित रखें। यदि संभव हो, तो मंगलवार और शनिवार को इसका विशेष पाठ करें।

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ब्रह्मचर्य और सात्विक जीवन
हनुमान जी 'यति' और ब्रह्मचारी हैं। जो भक्त अपने इंद्रियों पर नियंत्रण रखता है और सात्विक आहार ग्रहण करता है, हनुमान जी उस पर शीघ्र प्रसन्न होते हैं। महाराज जी के अनुसार, पराई स्त्री का सम्मान करना और मन में शुद्ध विचार रखना ही हनुमान जी की असली पूजा है।

दीन-दुखियों की सेवा
हनुमान जी का एक नाम 'संकटमोचन' है। प्रेमानंद जी महाराज अक्सर कहते हैं कि जो व्यक्ति दूसरों के संकट दूर करने का प्रयास करता है, हनुमान जी उसके संकट खुद हर लेते हैं। किसी असहाय की मदद करना या भूखे को भोजन कराना हनुमान जी को बहुत प्रिय है।

अहंकार का त्याग
हनुमान जी अपार शक्तिशाली होने के बावजूद अत्यंत विनम्र हैं। वह हमेशा खुद को 'राम का दास' कहते हैं। महाराज जी समझाते हैं कि जिस भक्त के भीतर अहंकार होता है, वहां हनुमान जी की कृपा नहीं ठहरती। अपनी भक्ति और शक्ति पर कभी गर्व न करें, बल्कि उसे ईश्वर की देन मानें।

मंगलवार का विशेष व्रत या दर्शन
यदि जीवन में बहुत अधिक बाधाएं आ रही हैं, तो मंगलवार के दिन हनुमान जी के मंदिर जाकर उनके चरणों का सिंदूर अपने माथे पर लगाएं। चमेली के तेल और सिंदूर का लेप चढ़ाना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।

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