Hariyali Teej: इस विधि से करें व्रत, तभी मिलेगा साथी का भरपूर प्रेम

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 Jul, 2023 09:29 AM

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हरियाली तीज के दिन सुहागन महिलाएं मेहंदी लगाकर झूलों पर सावन का आनंद मनाती हैं। प्रकृति धरती पर चारों ओर हरियाली की चादर बिछा देती है और

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Hariyali Teej 2023: हरियाली तीज के दिन सुहागन महिलाएं मेहंदी लगाकर झूलों पर सावन का आनंद मनाती हैं। प्रकृति धरती पर चारों ओर हरियाली की चादर बिछा देती है और मन मयूर नाच उठता है इसलिए हाथों पर हरी मेहंदी लगाना प्रकृति से जुडऩे की अनुभूति है जो सुख-समृद्धि का प्रतीक है। इसके बाद वही मेहंदी लाल हो जाती है, जो सुहाग, हर्षोल्लास एवं सौंदर्य का प्रतिनिधित्व करती है। तीज वास्तव में ऐसा पर्व है जिसमें करवा चौथ जैसा श्रृंगार का वातावरण है, महिला मुक्ति सा एहसास है, राखी एवं भाई दूज जैसा पारिवारिक संगम है, मालपुओं व घेवर से दीवाली जैसी खुशबू है, होली सी उमंग है, प्रकृति की पूर्ण अनुकंपा है।

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जिस लड़की के ब्याह के बाद पहला सावन आता है, उसे ससुराल में नहीं रखा जाता। नवविवाहित पुत्री की ससुराल से सिंधारा आता है। इसमें उसके लिए साडिय़ां, सौंदर्य प्रसाधन, सुहाग की चूडिय़ां व संबंधित सामान के अलावा उसके भाई बहनों के लिए आयु के अनुसार कपड़े, मिष्ठान तथा उसकी आवश्यकतानुसार उपहार भेजे जाते हैं। 

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पूजन विधि
तीज से एक दिन पहले मेहंदी लगा ली जाती है। तीज के दिन सुबह स्नानादि करके श्रृंगार करके, नए वस्त्र  व आभूषण धारण करके मां गौरी की पूजा करते हैं। इसके लिए मिट्टी या अन्य धातु से बनी शिवजी, पार्वती व गणेश जी की मूर्ति रख कर उन्हें वस्त्रादि पहना कर रोली, सिंदूर, अक्षत आदि से पूजन करने का विधान है। इसके बाद आठ पूरी, छपूओं से भोग लगाती हैं। 

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फिर यह बायना जिसमें चूडिय़ां, श्रृंगार का सामान व साड़ी, मिठाई, दक्षिणा या शगुन राशि इत्यादि अपनी सास, जेठानी, या ननद को देते हुए चरण स्पर्श करती हैं। इसके बाद पारिवारिक भोजन किया जाता है। सामूहिक रूप से झूला झूलना, तीज मिलन, गीत संगीत, जलपान आदि किया जाता है। कुल मिला कर यह पारिवारिक मिलन का सुअवसर होता है।

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तीज पर ही गौरा विरह अग्नि में तपकर शिव से मिली थी। ये तीन सूत्र सुखी पारिवारिक जीवन के आधार स्तंभ हैं जो वर्तमान आधुनिक समय में और भी प्रासंगिक हो जाते हैं। आज के दिन महिलाओं को तीन चीजों से दूर रहना चाहिए- पति से छल कपट, झूठ-दुर्व्यवहार, पर निन्दा। 

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