Holashtak: शास्त्रों से जानें, क्यों मनाया जाता है होली से पहले होलाष्टक

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 28 Feb, 2025 09:40 AM

holashtak connection with holi

Holashtak 2025: हमारे वैदिक सनातन धर्म में होली का महत्व पौराणिक है। महर्षि कश्यप की पत्नी दिती का पुत्र हिरण्यकश्यपु दैत्यों का राजा था। इसका पुत्र प्रह्लाद भगवान श्री हरि विष्णु जी का अनन्य भक्त था। हिरणयकश्यपु ने अपने पुत्र को भक्ति मार्ग से...

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Holashtak 2025: हमारे वैदिक सनातन धर्म में होली का महत्व पौराणिक है। महर्षि कश्यप की पत्नी दिती का पुत्र हिरण्यकश्यपु दैत्यों का राजा था। इसका पुत्र प्रह्लाद भगवान श्री हरि विष्णु जी का अनन्य भक्त था। हिरणयकश्यपु ने अपने पुत्र को भक्ति मार्ग से हटाने के अनेकों प्रयास किए, उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित भी किया। जब प्रह्लाद अपनी प्रभु भक्ति से अविचलित रहे तो हिरण्यकश्यपु ने अपनी बहन होलिका को अपने पुत्र प्रह्लाद के साथ अग्रि में बैठ कर उसे भस्म करने का आदेश दिया। होलिका को अग्रि में न जलने का वरदान प्राप्त था लेकिन भगवान की कृपा से होलिका जल कर भस्म हो गई और भक्त प्रह्लाद का किंचित भी अहित नहीं हुआ।

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तब श्री हरि नारायण जी के भक्तों ने धर्म की अधर्म पर हुई विजय के रूप में इस दिन एक-दूसरे के ऊपर रंग डालकर होली के पर्व के रूप में इस दिन को मनाना आरंभ किया।

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होली से आठ दिन पूर्व होलाष्टक प्रारंभ हो जाता है।

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इन आठ दिनों में सभी शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। इसके पीछे मान्यता यह है कि फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी को हिरण्यकश्यपु ने प्रह्लाद को बंदी बनाया और इन आठ दिनों में उसने अपने पुत्र को यातनाएं दी थीं।

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दूसरी मान्यता के अनुसार इसी दिन महादेव जी ने कामदेव को भस्म कर दिया था। होली के दिन भगवान शिव ने कामदेव को दोबारा जीवित करने का वरदान दिया। इन्हीं कारणों से होलाष्टक से होली के बीच का समय शुभ नहीं माना जाता।

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