Edited By Prachi Sharma,Updated: 15 May, 2025 11:44 AM

हिंदी के प्रसिद्ध कथाकार मुंशी प्रेमचंद उन दिनों गोरखपुर में अध्यापन का काम करते थे। उन्होंने एक गाय पाल रखी थी। एक दिन चरते-चरते उनकी गाय इलाके के अंग्रेज मैजिस्ट्रेट के आवास के बगीचे में घुस गई।
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Motivational Story: हिंदी के प्रसिद्ध कथाकार मुंशी प्रेमचंद उन दिनों गोरखपुर में अध्यापन का काम करते थे। उन्होंने एक गाय पाल रखी थी। एक दिन चरते-चरते उनकी गाय इलाके के अंग्रेज मैजिस्ट्रेट के आवास के बगीचे में घुस गई। अभी वह वहां जाकर खड़ी हुई थी कि मैजिस्ट्रेट गुस्से में बंदूक लेकर बाहर निकल आया। उसने आग बबूला होकर बंदूक में गोली भी भर ली।
उसी समय अपनी गाय को खोजते प्रेमचंद भी वहां पहुंच गए। उन्हें देखते ही मैजिस्ट्रेट ने गुस्से में कहा, “इस गाय को अब तुम नहीं ले जा सकते। तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुमने अपने जानवर को मेरे बगीचे में घुसा दिया। मैं अभी इसे गोली मार देता हूं, तभी जाकर तुम काले लोगों को यह बात समझ में आएगी कि हम लोग यहां हुकूमत करने आए हैं।” देखते-देखते उसने भरी बंदूक गाय की ओर तान भी दी।
प्रेमचंद ने मैजिस्ट्रेट को भरसक नरमी से समझाने की कोशिश की, “महोदय, इस बार गाय पर मेहरबानी कर दीजिए। इसके बाद फिर कभी यह इधर नहीं आएगी। फिलहाल साहब, इसे मुझे यहां से ले जाने दें। दरअसल, यह गलती से यहां आ गई है।”

फिर भी मैजिस्ट्रेट झल्लाकर भला-बुरा कहता रहा। उसने बंदूक से गाय को फिर निशाना बनाना चाहा।
इस पर प्रेमचंद झट से गाय और मैजिस्ट्रेट के बीच में आकर खड़े हो गए और गुस्से में तमतमाकर बोले, “तो फिर चला गोली। देखूं तुझमें कितनी हिम्मत है। ले, पहले मुझे गोली मार।” यह सुनकर अंग्रेज की सारी हेकड़ी हिरण हो गई। वह बंदूक की नली नीची कर बड़बड़ाता हुआ अपने बंगले के भीतर चला गया।
