Edited By Prachi Sharma,Updated: 26 Feb, 2024 11:59 AM
गुरु ज्ञानेश्वर का आश्रम उनके जमाने में बहुत प्रसिद्ध था। उनके यहां हजारों छात्र विद्या अध्ययन के लिए आया करते थे। गुरु जी ने एक सुबह देखा कि उनके कुछ
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Inspirational Context: गुरु ज्ञानेश्वर का आश्रम उनके जमाने में बहुत प्रसिद्ध था। उनके यहां हजारों छात्र विद्या अध्ययन के लिए आया करते थे। गुरु जी ने एक सुबह देखा कि उनके कुछ शिष्यों में एक-दूसरे के प्रति ईर्ष्या का भाव झलक रहा है।
उन्होंने शिष्यों को अपने पास बुलवाया और उन्हें आदेश देते हुए कहा, “शिष्यों कल प्रवचन के समय तक आप सभी अपने साथ बड़े-बड़े आलू की सब्जी लेकर आएंगे और अपने सभी आलुओं पर उन व्यक्तियों का नाम लिखेंगे जिनसे आप ईर्ष्या करते हो।”
अगली सुबह प्रवचन के समय किसी के हाथों में पांच तो किसी के हाथों में छह आलू और सभी पर ईर्ष्या करने वाले व्यक्तियों के नाम थे।
गुरु ने कहा, “ये सब आलू आप स्वयं को सात दिनों के लिए भेंट करें आप जहां भी जाएं ये आलू आपके साथ होने चाहिएं, खाते-पीते, सोते-जागते हर समय ये आलू आपके साथ रहने चाहिएं।”
सभी शिष्य गुुरुजी की इस बात से चकित थे लेकिन गुरु का आदेश तो उन्हें मानना ही था। वे अब जहां भी जाते आलुओं को हमेशा साथ रखते थे। लेकिन कुछ दिनों के बाद आलुओं से सड़ने की बदबू आने लगी। जैसे ही सात दिन की अवधि समाप्त हुई सभी अपने गुरु के पास गए और इसका मतलब समझाने को कहा।
गुरु ने शिष्यों को समझाते हुए कहा, “जब सात दिन में ही इन आलुओं से बदबू आने लगी है और आपको ये बोझ लगने लगे हैं। अब जरा यह सोचिए कि आप अपने जिन मित्रों से जिन व्यक्तियों से ईर्ष्या करते हैं उनका कितना बड़ा बोझ आपके मन पर रहता होगा। ईर्ष्या आपके मन पर अनावश्यक बोझ डालती है जिसके कारण ही आलुओं की तरह आपके मन से भी बदबू आनी शुरू हो जाती है।”
सारे शिष्य गुरु की बातें बहुत ही अच्छी तरह सुन रहे थे और उन्होंने बदबूदार आलुओं को फैंक कर अपने मन से ईर्ष्या को भी हमेशा के लिए निकाल फैंका।