Jagannath Puri: जगन्नाथ पुरी को है राधा रानी का श्राप, अविवाहित प्रेमी जोड़े न करें दर्शन !

Edited By Updated: 25 Aug, 2025 04:34 PM

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Jagannath Temple: जगन्नाथ पुरी ओडिशा के बारे में यह परंपरा और मान्यता लंबे समय से चली आ रही है कि अविवाहित जोड़े या प्रेमी जोड़े मंदिर में दर्शन करने नहीं जाते। इसके पीछे कुछ धार्मिक, सांस्कृतिक और पौराणिक कारण बताए जाते हैं। श्री जगन्नाथ मंदिर...

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Jagannath Temple: जगन्नाथ पुरी ओडिशा के बारे में यह परंपरा और मान्यता लंबे समय से चली आ रही है कि अविवाहित जोड़े या प्रेमी जोड़े मंदिर में दर्शन करने नहीं जाते। इसके पीछे कुछ धार्मिक, सांस्कृतिक और पौराणिक कारण बताए जाते हैं। श्री जगन्नाथ मंदिर दुनिया के सबसे प्राचीन और कठोर अनुशासन वाले मंदिरों में से एक है। यहां परंपरा है कि केवल वही व्यक्ति मंदिर में प्रवेश करे जो सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से गृहस्थ धर्म का पालन करता हो। अविवाहित प्रेमी जोड़े को मंदिर की मर्यादा के अनुसार अनुचित माना जाता है इसलिए उन्हें प्रवेश से हतोत्साहित किया जाता है।

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राधा रानी का श्राप
प्राचीन पौराणिक कथा और लोक किवदंती के अनुसार एक समय राधारानी जगन्नाथ पुरी में दर्शनों के लिए गई लेकिन वहां के पुजारियों ने उन्हें दर्शन नहीं करने दिए। पुजारियों का कहना था की वे श्रीकृष्ण की प्रेमिका हैं पत्नी नहीं। न केवल राधा रानी बल्कि भगवान की अन्य पटरानियों और रानियों को भी मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। राधारानी ने भगवान जगन्नाथ के दर्शन न कर पाने के कारण श्राप दिया था की इस मंदिर में कोई भी प्रेमी युगल अथवा अविवाहित जोड़ा प्रवेश नहीं कर पाएगा। अगर वो ऐसा करेगा तो उनका अलगाव हो जाएगा और वो जीवन में कभी भी सच्चा प्रेम सुख प्राप्त नहीं कर पाएंगे।

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भगवान जगन्नाथ का स्वरूप
भगवान जगन्नाथ को परब्रह्म माना जाता है लेकिन उनके स्वरूप में शालिग्राम, नारायण और कृष्ण तीनों ही भाव झलकते हैं। यहां भगवान जगन्नाथ का रूप बहुत पवित्र और साकेतिक है। मान्यता है कि यह स्थान पारिवारिक जीवन की मर्यादा का प्रतीक है, इसलिए यहां केवल पति-पत्नी या परिवार के सदस्य दर्शन के लिए उचित माने जाते हैं।

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लोक मान्यता
पुरी के स्थानीय लोगों का मानना है कि अविवाहित प्रेमी जोड़े मंदिर में दर्शन करें तो उनके रिश्ते में बाधाएं आती हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ उस रिश्ते को मान्यता नहीं देते, जो समाज और धर्म की परिभाषा में विवाह से बंधा न हो।

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किंवदंती
कुछ लोककथाओं के अनुसार एक समय अविवाहित जोड़े ने मंदिर में प्रवेश किया था और उनके रिश्ते में अलगाव हो गया। तभी से यह मान्यता और सख़्त हो गई कि ऐसे जोड़े को मंदिर नहीं जाना चाहिए।

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ज्योतिषीय दृष्टि
ज्योतिष के अनुसार, जगन्नाथपुरी मूलाधार चक्र और धर्म-संस्कार का केंद्र माना जाता है। यह स्थान व्यक्ति को उसके जीवन की स्थिरता और धर्म मार्ग पर ले जाने के लिए है। यहां अधूरी या अस्थिर (विवाह रहित) स्थिति को स्वीकार नहीं किया जाता।

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अविवाहित प्रेमी जोड़े को जगन्नाथपुरी मंदिर में दर्शन से रोका नहीं जाता लेकिन परंपरागत रूप से उन्हें हतोत्साहित किया जाता है। इसका मूल कारण मंदिर की पवित्रता, मर्यादा और धार्मिक मान्यता है। यह नियम धर्म, समाज और परंपरा को सुरक्षित रखने के लिए है, न कि केवल प्रतिबंध लगाने के लिए।

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