January Kalashtami 2025: इस दिन रखा साल की पहली कालाष्टमी का व्रत जानें, शुभ मुहूर्त और महत्व

Edited By Updated: 16 Jan, 2025 10:18 AM

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हिन्दू धर्म में बहुत से व्रत और त्यौहार मनाए जाते हैं। उन्हीं में से एक है कालाष्टमी। कालाष्टमी का पर्व विशेष रूप से भगवान शिव के रूप काल भैरव से जुड़ा हुआ है

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January Kalashtami 2025: हिन्दू धर्म में बहुत से व्रत और त्यौहार मनाए जाते हैं। उन्हीं में से एक है कालाष्टमी। कालाष्टमी का पर्व विशेष रूप से भगवान शिव के रूप काल भैरव से जुड़ा हुआ है और यह हर माह की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन खासतौर पर महादेव के अवतार काल भैरव की पूजा करने का विधान है। जो व्यक्ति विधि-विधान के साथ इनकी पूजा करता है उसे अनचाहे शत्रुओं से मुक्ति मिलती है और नजर दोष से भी छुटकारा मिलता है। तो चलिए ज्यादा देर न करते हुए जानते हैं वर्ष 2025 में पहली कालाष्टमी कब मनाई जाएगी। 

जनवरी 2025 में कब मनाई जाएगी कालाष्टमी-
कालाष्टमी को कालभैरव जयंती के नाम से जाना जाता है। पंचांग के अनुसार 21 जनवरी को 12 बजकर 39 मिनट से इसकी शुरुआत होगी और अगले दिन 22 जनवरी को 3 बजकर 18 मिनट पर इसका समापन होगा। 

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शुभ मुहूर्त- 21 जनवरी को रात 10 बजकर 32 मिनट तक

कालाष्टमी का महत्व:
कालाष्टमी का पर्व विशेष रूप से काल भैरव की पूजा के लिए होता है जो भगवान शिव के आठवें रूप में माने जाते हैं। काल भैरव का रूप डरावना और शक्तिशाली होता है, और वे काल के रक्षक के रूप में पूजे जाते हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वे उन सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश करते हैं, जो व्यक्ति के जीवन में विघ्न डालती हैं और बुराई का रूप धारण करती हैं। यही कारण है कि इस दिन विशेष रूप से काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सभी प्रकार के भय और संकट दूर होते हैं।

काल भैरव को मृत्यु का देवता माना जाता है क्योंकि वे काल के अधिपति हैं। इस दिन उनकी पूजा से मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। साथ ही यह दिन व्यक्ति के पापों के नाश के लिए भी विशेष माना जाता है। काल भैरव की पूजा करने से आत्मा की शुद्धि होती है और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।

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जनवरी 2025 की कालाष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त:

कालाष्टमी के दिन पूजा विधि का पालन श्रद्धा और विश्वास से करना चाहिए। यह पूजा विशेष रूप से रात के समय की जाती है। 

पूजा से पहले स्नान करके शरीर को शुद्ध करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।

सबसे पहले भगवान शिव और काल भैरव का आवाहन करें और उनके चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं।

इस दिन विशेष रूप से रुद्राक्ष की माला से ॐ काल भैरवाय नमः मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।

भगवान शिव और काल भैरव को धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें। विशेष रूप से लाल फूल, चंदन, फल और पानी अर्पित करना शुभ माना जाता है।

इस दिन उपवास रखने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से भक्तगण इस दिन निराहार व्रत रखते हैं और रातभर जागरण करते हैं।

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