Kalki Avatar Katha: स्कंद पुराण में छुपा है कल्कि अवतार का रहस्य, कहां और कैसे होगा उनका जन्म ?

Edited By Updated: 30 Jul, 2025 09:37 AM

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Kalki Avatar Katha:  स्कंद पुराण के मुताबिक, कलयुग के अंतिम समय में जब अधर्म और पाप अपने चरम पर होंगे, तब भगवान विष्णु कल्कि के रूप में अवतार लेंगे। यह वह दौर होगा जो कलयुग से सतयुग की ओर जाने वाला संक्रमणकाल कहलाएगा। कहा जाता है कि भगवान कल्कि

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Kalki Avatar Katha:  स्कंद पुराण के मुताबिक, कलयुग के अंतिम समय में जब अधर्म और पाप अपने चरम पर होंगे, तब भगवान विष्णु कल्कि के रूप में अवतार लेंगे। यह वह दौर होगा जो कलयुग से सतयुग की ओर जाने वाला संक्रमणकाल कहलाएगा। कहा जाता है कि भगवान कल्कि को 64 कलाओं का ज्ञान होगा और वे सभी में निपुण होंगे। कल्कि पुराण में यह उल्लेख है कि उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के संभल क्षेत्र में, विष्णुयशा नामक एक तपस्वी ब्राह्मण के घर भगवान कल्कि पुत्र के रूप में जन्मेंगे।

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भगवान परशुराम होंगे गुरु 
मान्यताओं के अनुसार कल्कि भगवान, जो भगवान विष्णु के अंतिम अवतार माने जाते हैं, अपने गुरु परशुराम जी से शिक्षा और मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे। परशुराम जी भी विष्णु के अवतारों में से एक हैं और उन्हें अमरता प्राप्त है। परशुराम जी के निर्देशानुसार, कल्कि भगवान भगवान शिव की कठोर तपस्या करेंगे। इसी तपस्या के फलस्वरूप उन्हें अद्भुत दिव्य शक्तियां प्राप्त होंगी, जिनकी सहायता से वे संसार से अन्याय और अधर्म का अंत करेंगे।

कैसे होंगे भगवान कल्कि 
स्कंद पुराण के दसवें अध्याय में बताया गया है कि कलयुग में भगवान विष्णु का अवतार कल्कि के रूप में सम्भल नामक ग्राम में प्रकट होंगे। इसके अलावा, अग्नि पुराण के सोलहवें अध्याय में कल्कि अवतार का चित्रण भी मिलता है। उस विवरण के अनुसार, कल्कि भगवान राम की तरह तीर और धनुष लेकर होंगे और वे एक घोड़े की पीठ पर सवार होकर प्रकट होंगे। कल्कि पुराण में यह भी उल्लेख है कि वे हाथ में तेजस्वी तलवार लिए सफेद घोड़े पर सवार होकर अधर्म और पाप का अंत करेंगे।

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जब कलियुग अपने चरम पर पहुंचेगा और अधर्म पूरी तरह फैल जाएगा, तब भगवान विष्णु अपने दसवें अवतार के रूप में कल्कि के रूप में प्रकट होंगे। यह अवतार धर्म की पुनः स्थापना के लिए होगा। माना जाता है कि कल्कि अकेले नहीं होंगे, उनके साथ उनके चार भाई भी होंगे, जो इस पवित्र कार्य में उनका साथ देंगे। इन भाइयों के नाम होंगे, सुमन्त, प्राज्ञ, और कवि। वे सभी मिलकर अधर्म का अंत करेंगे और समाज में सच्चाई, न्याय और सदाचार की फिर से स्थापना करेंगे। इनका कार्य केवल युद्ध करना नहीं होगा, बल्कि लोगों को सही मार्ग दिखाना और धर्म का महत्व समझाना भी होगा। इस तरह, यह अवतार केवल विनाश के लिए नहीं बल्कि एक नए युग की शुरुआत के लिए होगा, जहा धर्म फिर से केंद्र में होगा और मानवता शांति और सद्गुणों के मार्ग पर चलेगी।

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