Kozhikode: विभिन्न सभ्यताओं के लिए भारतीय उपमहाद्वीप का प्रवेश द्वार कोझिकोड

Edited By Updated: 02 Nov, 2025 02:00 PM

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Kozhikode: उत्तर केरल में स्थित कोझिकोड को यूनेस्को द्वारा आधिकारिक तौर पर भारत का पहला साहित्य शहर (सिटी आफ लिटरेचर) घोषित किया गया है। इससे पहले अक्तूबर, 2023 में कोझिकोड को ‘यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नैटवर्क’ (यू.सी.सी.एन.) की ‘साहित्य’ श्रेणी में...

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Kozhikode: उत्तर केरल में स्थित कोझिकोड को यूनेस्को द्वारा आधिकारिक तौर पर भारत का पहला साहित्य शहर (सिटी आफ लिटरेचर) घोषित किया गया है। इससे पहले अक्तूबर, 2023 में कोझिकोड को ‘यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नैटवर्क’ (यू.सी.सी.एन.) की ‘साहित्य’ श्रेणी में जगह मिली थी।

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दरअसल, ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में कालीकट के नाम से मशहूर कोझिकोड की साहित्यिक यात्रा इसके ऐतिहासिक महत्व से जुड़ी हुई है। यह शहर फ्रांसियों, अरबों, चीनी और यूरोपीय लोगों सहित विभिन्न सभ्यताओं के लिए भारतीय उपमहाद्वीप के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता रहा है।

इसके अलावा यह शहर एक प्राचीन व्यापारिक केंद्र के रूप में अपनी भूमिका के लिए प्रसिद्ध है तथा यह वह स्थान है जहां पुर्तगाली खोजकर्ता वास्को-डी-गामा सन् 1498 में पहली बार भारत पहुंचे थे।

कोझिकोड को साहित्य के शहर के रूप में मान्यता मिलना न केवल इसकी ऐतिहासिक विरासत का बल्कि इसके मजबूत साहित्यिक बुनियादी ढांचे और पहलों का भी प्रमाण है।

शहर में 500 से अधिक पुस्तकालय और 70 प्रकाशन गृह हैं जो सालाना 400 से 500 किताबें प्रकाशित करते हैं। ये संस्थान शहर के निवासियों के बीच साहित्य और ज्ञान के प्रति प्रेम को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पुस्तकालयों और प्रकाशन गृहों के इतने विशाल नैटवर्क की मौजूदगी सुनिश्चित करती है कि साहित्यिक संसाधन व्यापक पाठकों तक पहुंचे जिससे पढ़ने और लिखने की संस्कृति को बढ़ावा मिले।

इसके अलावा कोझिकोड कई प्रतिष्ठित साहित्यक पुरस्कारों के माध्यम से स्थानीय प्रतिभाओं को पोषित और सम्मानित भी करता है।  इनमें पी.ए. ललित पुरस्कार, एस.के. पट्टेक्कट साहित्य पुरस्कार और मातृभूमि साहित्य पुरस्कार उल्लेखनीय हैं। ये पुरस्कार न केवल लेखकों के योगदान का सम्मान करते हैं बल्कि रचनात्मक नवाचार और साहित्यिक उत्कृष्टता को भी प्रोत्साहित करते हैं।
इस तरह की पहल कई प्रतिभाओं को पोषित करने और शहर के साहित्यिक परिदृश्य के निरंतर विकास को सुनिश्चित करने में योगदान देती है।

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यह शहर कई साहित्यिक हस्तियों का घर रहा है जिन्होंने भारतीय साहित्य पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। इस शहर ने कवियों, उपन्यासकारों और विद्वानों को जन्म दिया है जिनकी रचनाएं देश भर में पाठकों के बीच लोकप्रिय रही हैं।

प्रसिद्ध मलयालम लेखक वैकोम मोहम्मद बशीर का जन्म कोझिकोड के निकट थालयोलापुरम्बु में हुआ था। हास्य और सामाजिक टिप्पणी के अनूठे मिश्रण से युक्त उनके साहित्यिक योगदान ने उन्हें साहित्य प्रेमियों के दिल में एक विशेष स्थान दिलाया है।

शहर के साहित्यिक परिदृश्य में एक और प्रमुख हस्ती एम.टी. वासुदेवन नायर हैं जो एक प्रख्यात मलयालम लेखक और फिल्म निर्माता हैं। उनके उपन्यास रंदामूजम (दूसरा मोड़) जो भीम के दृष्टिकोण से महाभारत का पुनर्कथन है ने न केवल प्रशंसा प्राप्त की बल्कि लेखकों की पीढ़ियों को नई कथा संभावनाओं को तलाशने के लिए प्रेरित भी किया है।

कोझिकोड के साहित्यिक परिदृश्य की जीवंतता इसके सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रमों द्वारा भी उजागर होती है। शहर में कई पुस्तक मेले, साहित्यिक उत्सव और लेखक सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं जो साहित्य के प्रति उत्साही लोगों को लेखकों और उनके कार्यों में जुड़ने के लिए मंच प्रदान करते हैं। ये कार्यक्रम बौद्धिक आदान-प्रदान और रचनात्मकता प्रोत्साहित कर पाठकों और लेखकों के बीच समुदाय की भावना को बढ़ावा देते हैं।

उदाहरण के लिए कोझिकोड साहित्य महोत्सव देश भर के लेखकों, कवियों, विद्वानों और साहित्यिक आलोचकों को एक साथ लाता है। ऐसे कार्यक्रम न केवल साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाते हैं बल्कि शहर के साहित्यिक पर्यटन में भी योगदान देते हैं। शहर की साहित्य के प्रति प्रतिबद्धता इसके शैक्षणिक संस्थानों में भी स्पष्ट है जो साहित्यिक शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

शहर में कई प्रतिष्ठित कालेज और विश्वविद्यालय हैं जो साहित्य, भाषा विज्ञान और रचनात्मक लेखन में पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। ये संस्थान महत्वाकांक्षी लेखकों और साहित्यिक विद्वानों के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं, उन्हें अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान से लैस करते हैं।

साहित्यिक शिक्षा पर जोर यह सुनिश्चित करता है कि शहर की समृद्ध साहित्यिक परम्परा भविष्य की पीढ़ियों तक पहुंचे जिससे इसकी विरासत बनी रहे।

कोझिकोड की साहित्यिक संस्कृति के पहलुओं में से एक इसकी मजबूत समुदायिक जुड़ाव और जमीनी स्तर की पहल है। शहर की साहित्यिक गतिविधियां केवल अभिजात वर्ग तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि इसके निवासियों के रोजमर्रा के जीवन में गहराई से समाहित हैं।

सामुदायिक पुस्तकालय, रीडिंग क्लब और स्थानीय साहित्यिक समाज जमीनी स्तर पर साहित्य के प्रति प्रेम को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये पहल सुनिश्चित करती हैं कि साहित्य सभी क्षेत्रों के लोगों के लिए सुलभ हो, समावेशिता और सांस्कृतिक भागीदारी को बढ़ावा दें।

शहर की जीवंत, साहित्यिक परम्परा इसके ऐतिहासिक महत्व, मजबूत बुनियादी ढांचे और सामुदायिक जुड़ाव से मजबूत हुई है जो इसे साहित्यिक उत्कृष्टता का प्रतीक बनाती है।

प्रमुख पर्यटक आकर्षण
यहां का काप्पद बीच सफेद रेत और शांत पानी के लिए जाना जाता है। माणन्तवडी वाइल्डलाइफ सैंचुरी में वन्य जीवन के अनूठे दृश्य मिलते हैं, जबकि सुलतान बथेरी में ऐतिहासिक अवशेष और प्राकृतिक सुंदरता की बेजोड़ मिसाल है। टाऊन हॉल, कंटेशवर मंदिर, पैलयम मंदिर, और पारंपरिक बाजार भी इस शहर के आकर्षण का हिस्सा हैं। यहां के स्वादिष्ट समुद्री भोजन और कल्चरल कार्यक्रम भी खास हैं। 

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