Kundli Tv- एेसे श्रीकृष्ण ने पांडवों को दिलाई थी जीत

Edited By Jyoti,Updated: 03 Sep, 2018 10:36 AM

krishna had given pandavas to victory

पांडवों को जिताने के लिए पूर्णावतार श्रीकृष्ण ने कई ऐसे चालें चलीं थी, जिसने महाभारत युद्ध का पासा ही पलट दिया।

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पांडवों को जिताने के लिए पूर्णावतार श्रीकृष्ण ने कई ऐसे चालें चलीं थी, जिसने महाभारत युद्ध का पासा ही पलट दिया। इस धर्मयुद्ध में कई ऐसे प्रसंग आते हैं जिसमें पांडव खुद को असहाय महसूस करने लगे, तभी भगवान कृष्ण ने कुछ ऐसी तरकीब निकाली कि पांडवों पर आया संकट टल गया।
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भीष्म के सामने शिखंडी को खड़ा किया
महाभारत युद्ध में जब कौरवों की तरफ से लड़ते हुए भीष्म पितामह पांडवों की सेना पर भारी पड़ने लगे और उन्हें परास्त करने का पांडवों को कोई रास्ता नहीं सूझा तो श्रीकृष्ण ने एक ऐसी चाल चली जिससे भीष्म को अपने अस्त्र-शस्त्र रख देने पड़े। श्री कृष्ण ने भीष्म के सामने शिखंडी को ला खड़ा किया था। चूंकि शिखंडी पूर्ण पुरुष नहीं था और भीष्म उसे स्त्री मानते थे, क्योंकि वह पूर्व जन्म में अंबा थी। ऐसे में भीष्म की वह प्रतिज्ञा आड़े आई जिसमें उन्होंने तय किया था कि वह स्त्री पर हथियार नहीं चलाएंगे। इसी प्रतिज्ञा का लाभ उठाकर श्री कृष्ण ने अर्जुन को प्रेरित किया कि वह पितामह भीष्म को वाणों की शैय्या पर लेटा दिया और अंत में यही हुआ।
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युधिष्ठिर का भ्रमित करने वाला सत्य
भीष्म के बाद द्रोणाचार्य ऐसे योद्धा थे जिनके रहते पांडवों का महाभारत का युद्ध जीतना असंभव था। उस संकट से उबारने में भी श्रीकृष्ण ने अहम भूमिका निभाई थी। श्री कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को भ्रमित करने वाला सत्य बोलने को प्रेरित किया था। तब युधिष्ठिर ने द्रोणाचार्य के प्रश्न के जवाब में कहा कि अश्वत्थामा मारा गया। लेकिन जब उन्होंने अगला वाक्य कहा कि आपका पुत्र नहीं बल्कि हाथी तभी कृष्ण ने शंख बजा दिया था। युधिष्ठिर के आधे सत्य से दुखी होकर द्रोणाचार्य ने अपने धनुष बाण जमीन पर रख दिए और विलाप करने लगे। मौके का लाभ उठाकर धृष्टद्युम्न ने द्रोणाचार्य का वध कर दिया था।
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सुदर्शन से सूर्य छिपाया 
महाभारत के युद्ध के दौरान जब अर्जुन ने प्रतिज्ञा ले ली कि यदि वह सूर्यास्त तक जयद्रथ का वध नहीं कर पाए तो आत्मदाह कर लेंगे। इसके बाद जब वह छिप गया और शाम ढलने को आई तो निराश अर्जुन को देखकर श्री कृष्ण ने अपना सुदर्शन चक्र सूर्य की ओर छोड़ दिया, जिससे सूर्य की रोशनी छुप गई और सभी को लगा कि शाम हो चुकी है। इसके बाद जयद्रथ बाहर निकल कर खुशियां मनाने लगा और अर्जुन को आत्मदाह के लिए उकसाने लगा। तभी श्री कृष्ण ने अपना चक्र सूर्य की ओर से हटा लिया और सूर्य निकलते ही अर्जुन ने पास खड़े जयद्रथ का वध कर अपनी प्रतिज्ञा पूरी की।
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कमर के नीचे करवाया प्रहार
दुर्योधन का अंत भी श्री कृष्ण की छल बुद्धि से संभव हुआ। श्री कृष्ण ने दुर्योधन को माता के पास निर्वस्त्र होकर न जाने की सलाह दी जिससे कमर के नीचे का हिस्सा वज्र का नहीं हो पाया था। इसके बाद जब दुर्योधन और भीम का युद्ध हुआ, उस समय भी श्री कृष्ण ने भीम को दुर्योधन के कमर के नीचे प्रहार करने की सलाह दी थी। हालांकि यह नियम के विरुद्ध था लेकिन भीम ने कृष्ण की बात मानते हुए वैसा ही किया और दुर्योधन की मृत्यु हुई और पांडवों को महाभारत में विजय श्री मिली।
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