चक्रव्यूह ने ली थी अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु की जान, ऐसे लिया था पिता ने बदला

Edited By Jyoti,Updated: 19 May, 2022 02:40 PM

mahabharat story of arjun son abhimanyu

महाभारत हिंदू धर्म का महाकाव्य ग्रंथ माना जाता है। इसमें द्वापर युग में होने वाले महाभारत युद्ध से जुड़ी प्रत्येक घटना के बारे में विवरण किया गया है।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
महाभारत हिंदू धर्म का महाकाव्य ग्रंथ माना जाता है। इसमें द्वापर युग में होने वाले महाभारत युद्ध से जुड़ी प्रत्येक घटना के बारे में विवरण किया गया है। आज हम आपको महाभारत युद्ध से संबंधित कथा से ही अवगत करवाने जा रहे हैं, जो अभिमन्यु व गुरु द्रोषाचार्य से जुड़ी हुई है। तो आइए बिना देर किए जानते हैं ये धार्मिक कथा-
PunjabKesari Mahabharat Story, Arjun Son Abhimanyu, Abhimanyu, Arjun, Sri Krishan, अभिमन्यु, अर्जुन, महाभारत, Dharmik Katha in Hindi, द्रोणार्चाय, Daronacharyaमहाभारत ग्रंथ में किए उल्लेख के अनुसार पूरी पांडव सेना में केवल अर्जुन को चक्रव्यूह भेदना आता था। ऐसे में युधिष्ठिर के पास आए अर्जुन पुत्र अभिमन्यु ने आकर कहा, बड़े पिताश्री, इस संकट का हल मैं दे सकता हूं, चक्रव्यूह तो भेदना जानता हूं, लेकिन बाहर निकलना नहीं। अगर हमारे योद्धा पीछे-पीछे चक्रव्यूह में आ जाएं तो वह मेरी रक्षा कर निकाल लाएंगे। 

इसके चलते अभिमन्यु व्यूह में घुसे लेकिन उसी वक्त गुरुद्रोण ने व्यूह बदल दिया और पहली कतार ज्यादा मजबूत कर दी, ऐसे में पीछे आ रहे भीम, सात्यकि, नकुल-सहदेव आदि योद्धा भी अंदर नहीं घुस पाए। इस बीच अभिमन्यु चक्रव्यूह में और अंदर घुसते गए, लेकिन कोई भी उनकी रक्षा को पीछे नहीं आ सका। सभी प्रयास कर ही रहे थे कि तभी कौरव योद्धा जयद्रथ ने आकर पांडवों को चक्रव्यूह में घुसने से रोकने के लिए घेराबंदी कर ली।
PunjabKesari Mahabharat Story, Arjun Son Abhimanyu, Abhimanyu, Arjun, Sri Krishan, अभिमन्यु, अर्जुन, महाभारत, Dharmik Katha in Hindi, द्रोणार्चाय, Daronacharyaचक्रव्यूह के छठे द्वार पर दुर्योधन पुत्र लक्ष्मण को किया ढेर-
कथाओं के अनुसार जब तक जयद्रथ ने बाहर से आकर पांडवों को घेरा तब तब अभिमन्यु व्यूह के केंद्र में दाखिल हो चुके थे, जहां उन्हें योद्धाओं की संख्या और कौशल बढ़ा नजर आया। यहां सभी योद्धा युद्ध नहीं करके बस खड़े हुए थे। अकेले व्यूहरचना तोड़ने से अभिमन्यु थकान से चूर हो चुके थे और उन्हें चक्रव्यूह से निकलने का ज्ञान भी नहीं था। अभिमन्यु चक्रव्यूह के छह चरण भेद चुके थे, इसी दौरान अभिमन्यु के हाथों दुर्योधन के बेटे लक्ष्मण का भी अंत हो चुका था। 

जब दुर्योधन ने अपने पुत्र का शव देखा तो वह बौखला गया और उसने युद्ध के सारे नियम कायदे किनारे रखते हुए कर्ण, द्रोणाचार्य समेत सात महारथियों के साथ अभिमन्यु को घेर लिया। इसके बावजूद अभिमन्यु पूरी ताकत से लड़ते रहे। मगर सातों ने मिलकर उनके रथ के घोड़े मार दिए। जिसके बाद अभिमन्यु ने रथ के पहिए को रक्षा कवच बनाकर तलवार से लड़ाई जारी रखी, लेकिन शत्रुओं के ताबड़तोड़ वार से तलवार और रथ का पहिया दोनों टुकड़े-टुकड़े हो गए और धरती पर गिर गाए। अब अभिमन्यु पूरी तरह निहत्थे थे। हालांकि नियमानुसार निहत्‍थे पर वार नहीं होना चाहिए था, लेकिन पीछे से निहत्थे अभिमन्यु पर जयद्रथ ने तलवार का जोरदार प्रहार किया, जिसके उपरांत एक के बाद एक सातों योद्धाओं ने वार पर वार शुरू कर दिए, जिससे अभिमन्यु वहीं वीरगति को प्राप्त हो गए।
PunjabKesari Mahabharat Story, Arjun Son Abhimanyu, Abhimanyu, Arjun, Sri Krishan, अभिमन्यु, अर्जुन, महाभारत, Dharmik Katha in Hindi, द्रोणार्चाय, Daronacharya
जब अर्जुन को बेटे की मृत्यु का समाचार मिला तो वे जयद्रथ के वध करने के लिए निकले, परंतु तब सूर्य ढल गया, ऐसे में युद्ध रुक जाना था। जिसका विचार कर सभी कौरव अट्टाहस करने लगे। लेकिन तभी श्रीकृष्ण ने चतुराई दिखाई और बादलों की ओट से सूर्य को वापस बाहर ले गए, जिसके बाद अर्जुन ने जयद्रथ को वहीं ढेर कर दि

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!