Mahalakshmi vrat katha: घर की दरिद्रता को करना है दूर, पढ़ें माता महालक्ष्मी व्रत कथा

Edited By Updated: 31 Aug, 2025 07:41 AM

mahalakshmi vrat katha

Mahalaxmi vrat 2025: 2025 में माता महालक्ष्मी व्रत 31 अगस्त रविवार राधा अष्टमी के दिन से शुरू होगा। यह महापर्व सूर्य के स्थिति से संबंधित है। सूर्य का वार्षिक प्रारंभ मेष से होता है। अर्धवार्षिक काल में जब सूर्य सिंह को पार करता हुआ कन्या में आता...

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Mahalaxmi vrat 2025: 2025 में माता महालक्ष्मी व्रत 31 अगस्त रविवार राधा अष्टमी के दिन से शुरू होगा। यह महापर्व सूर्य के स्थिति से संबंधित है। सूर्य का वार्षिक प्रारंभ मेष से होता है। अर्धवार्षिक काल में जब सूर्य सिंह को पार करता हुआ कन्या में आता है। इन्हीं 16 दिनों में महालक्ष्मी के स्वरूप की पूजा का विधान है। शास्त्रों में यथासंभव इस व्रत का आरंभ ज्येष्ठा नक्षत्र के चंद्र से करना चाहिए। इस व्रत में षोडश यानि 16 की संख्या की महत्वता है जैसे 16 वर्षों, 16 दिन, 16 नर-नारियों, 16 पुष्प-फल, 16 धागों व 16 गांठों का डोरक इत्यादि। महालक्ष्मी व्रत से घर में दरिद्रता दूर होती है और धन-धान्य की वृद्धि होती है। परिवार में सुख-शांति और सौभाग्य बढ़ता है। स्त्रियों के लिए यह व्रत विशेष रूप से कल्याणकारी माना गया है, जिससे वैवाहिक जीवन में स्थिरता और आनंद आता है। व्यापार या नौकरी में उन्नति के लिए भी यह व्रत शुभ माना गया है।

Mahalaxmi Vrat Katha

Mahalaxmi Vrat Katha महालक्ष्मी व्रत कथा: महालक्ष्मी व्रत पौराणिक काल से मनाया जा रहा है। शास्त्रानुसार महाभारत काल में जब महालक्ष्मी पर्व आया। उस समय हस्तिनापुर की महारानी गांधारी ने देवी कुन्ती को छोड़कर नगर की सभी स्त्रियों को पूजन का निमंत्रण दिया। गांधारी के 100 कौरव पुत्रों ने बहुत सी मिट्टी लाकर सुंदर हाथी बनाया व उसे महल के मध्य स्थापित किया।

जब सभी स्त्रियां पूजन हेतु गांधारी के महल में जाने लगी। इस पर देवी कुन्ती बड़ी उदास हो गई। इस पर अर्जुन ने कुंती से कहा हे माता! आप लक्ष्मी पूजन की तैयारी करें, मैं आपके लिए जीवित हाथी लाता हूं। अर्जुन अपने पिता इंद्र से स्वर्गलोक जाकर ऐरावत हाथी ले आए।

Mahalaxmi Vrat Katha
कुन्ती ने सप्रेम पूजन किया। जब गांधारी व कौरवों समेत सभी ने सुना कि कुन्ती के यहां स्वयं एरावत आए हैं तो सभी ने कुंती से क्षमा मांगकर गजलक्ष्मी के ऐरावत का पूजन किया।

शास्त्रनुसार इस व्रत पर महालक्ष्मी को 16 पकवानों का भोग लगाया जाता है। सोलह बोल की कथा 16 बार कहे जाने का विधान है व कथा के बाद चावल या गेहूं छोड़े जाते हैं। 

Mahalaxmi Vrat Katha
सोलह बोल की कथा:"अमोती दमो तीरानी, पोला पर ऊचो सो परपाटन गांव जहां के राजा मगर सेन दमयंती रानी, कहे कहानी। सुनो हो महालक्ष्मी देवी रानी, हम से कहते तुम से सुनते सोलह बोल की कहानी॥"

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