Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Oct, 2017 03:42 PM
एक व्यक्ति एक दिन बिना बताए काम पर नहीं गया। मालिक ने सोचा कि उसकी तनख्वाह बढ़ा दी जाए तो वह और दिलचस्पी से काम करेगा और उसकी तनख्वाह बढ़ा दी
एक व्यक्ति एक दिन बिना बताए काम पर नहीं गया। मालिक ने सोचा कि उसकी तनख्वाह बढ़ा दी जाए तो वह और दिलचस्पी से काम करेगा और उसकी तनख्वाह बढ़ा दी। अगली बार जब उसको तनख्वाह से ज्यादा पैसे मिले तो वह कुछ नहीं बोला, चुपचाप पैसे रख लिए। कुछ महीनों बाद वह फिर गैर-हाजिर हो गया। मालिक को बहुत गुस्सा आया। सोचा इसकी तनख्वाह बढ़ाने का क्या फायदा हुआ? यह नहीं सुधरेगा और उसने बढ़ी हुई तनख्वाह कम कर दी और इस बार उसको पहले वाली ही तनख्वाह दी। वह इस बार भी चुपचाप ही रहा और जुबान से कुछ न बोला।
मालिक को बड़ा ताज्जुब हुआ। उसने उससे पूछा कि जब मैंने तुम्हारे गैर-हाजिर होने के बाद तुम्हारी तनख्वाह बढ़ाकर दी तो तुम कुछ नहीं बोले और आज तुम्हारी गैर-हाजिरी पर तनख्वाह कम करके दी फिर भी तुम खामोश ही रहे। इसकी क्या वजह है? उसने जवाब दिया, जब मैं पहले गैर-हाजिर हुआ था तो मेरे घर एक बच्चा पैदा हुआ था। आपने मेरी तनख्वाह बढ़ाकर दी तो मैं समझ गया कि परमात्मा ने उस बच्चे के पोषण का हिस्सा भेज दिया है और जब दोबारा गैर-हाजिर हुआ तो मेरी माता जी का निधन हो गया था। जब आपने मेरी तनख्वाह कम दी तो मैंने यह मान लिया कि मेरी मां अपने हिस्से का अपने साथ ले गई। फिर मैं इस तनख्वाह की खातिर क्यों परेशान होऊं, जिसका जिम्मा खुद परमात्मा ने ले रखा है।
एक खूबसूरत सोच
अगर कोई पूछे जिंदगी में क्या खोया और क्या पाया तो बेशक कहना, जो कुछ खोया वह मेरी नादानी थी और जो भी पाया वह प्रभु की मेहरबानी थी। खूबसूरत रिश्ता है मेरे और भगवान के बीच में, ज्यादा मैं मांगता नहीं और कम वह देता नहीं।