Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 Jul, 2022 07:50 AM
ऊना स्थित माता चिंतपूर्णी मंदिर के जीर्णोद्धार व विकास से जुड़े मामले में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने सिविल कोर्ट अम्ब को आदेश दिए हैं कि
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शिमला (मनोहर/आर.के.): ऊना स्थित माता चिंतपूर्णी मंदिर के जीर्णोद्धार व विकास से जुड़े मामले में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने सिविल कोर्ट अम्ब को आदेश दिए हैं कि वह राज्य सरकार के मुआवजा राशि जमा करवाने वाले आवेदन पर 10 दिनों के भीतर निर्णय लें ताकि संबंधित भूमि का कब्जा राज्य सरकार को दे दिया जाए और प्रसाद स्कीम के अंतर्गत निर्माण कार्य पूरा हो सके। भूमि धारकों को उनकी भूमि का मुआवजा नहीं मिलने के कारण निर्माण कार्य में देरी हो रही है। माता चिंतपूर्णी मंदिर के जीर्णोद्धार व विकास का कार्य काफी समय से लटका हुआ है।
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वर्ष 2014-15 में भारत सरकार द्वारा देशभर में धार्मिक तथा सांस्कृतिक पयर्टन के विकास हेतु प्रसाद नामक एक महत्वाकांक्षी योजना की शुरूआत की गई थी। इस योजना के तहत उत्तर भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठ चिंतपूर्णी को भी जोड़ते हुए इस कार्य हेतु 50 करोड़ रुपए मंजूर किए गए थे।
2018 में ही चिंतपूर्णी मंदिर में उपलब्ध श्रद्धालु सुविधाओं के बारे में हिमाचल उच्च न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका 88 ऑफ 2018 की सुनवाई के दौरान इसे मंदिर में प्रसाद योजना के क्रियान्वयन से जोड़ा गया परंतु इस योजना के क्रियान्वयन हेतु भूमि की उपलब्धता एक प्रमुख समस्या बन गई और प्रशासन द्वारा भूमि अधिग्रहण की इसी समस्या के चलते मामला काफी देर तक अधर में लटका रहा।