हर हाल में करें भगवान का शुक्रिया

Edited By Updated: 14 Aug, 2020 10:36 AM

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शेख सादी नमाज के लिए गांव से बाहर स्थित मस्जिद में जाते तो रास्तेे में उनके नंगे पैरों में कांटे चुभ जाते थे।

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शेख सादी नमाज के लिए गांव से बाहर स्थित मस्जिद में जाते तो रास्तेे में उनके नंगे पैरों में कांटे चुभ जाते थे। एक दिन उन्होंने अपने शिष्य से एक जोड़ी जूते लाने को कहा। शेख सादी मस्जिद से घर वापस लौट रहे थे तो रास्ते में उन्होंने एक अपाहिज व्यक्ति को देखा जिसके न हाथ थे न पैर। वह जमीन पर रेंग-रेंग कर मस्जिद की ओर बढ़ रहा था।

शेख सादी ने उसे देखते ही खुदाबंद करीम को याद कर सिजदा किया और कहा, ‘‘हे मेरे परवरदिगार, मैं पैरों में एक कांटा चुभ जाने से जूते की जरूरत महसूस करने लगा। जबकि इस बंदे के तो हाथ-पैर कुछ भी नहीं हैं, फिर भी वह मस्ती में भरा तेरे सिजदे के लिए रेंग-रेंग कर जा रहा है। मैं तेरा लाख-लाख बार शुक्रगुजार हूं कि मेरे हाथ-पैर सब सही-सलामत हैं।’’ 

और उसी समय उन्होंने शिष्य को जूता लाने से मना कर दिया। —शिव कुमार गोयल

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