Edited By Jyoti,Updated: 28 Apr, 2021 02:08 PM
काठियावाड़ में रविशंकर महाराज ने कुछ लोगों से शराब न पीने की प्रतिज्ञा करवाई तो एक व्यक्ति बोला, ‘‘महाराज, प्रतिज्ञा तो कर ली, पर ऐसा लगता है
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काठियावाड़ में रविशंकर महाराज ने कुछ लोगों से शराब न पीने की प्रतिज्ञा करवाई तो एक व्यक्ति बोला, ‘‘महाराज, प्रतिज्ञा तो कर ली, पर ऐसा लगता है शराब ने मेरी रग-रग पकड़ी हुई है, मुझसे तो शायद ही छूट पाए।’’
अगले दिन जब वह व्यक्ति आश्रम आया तो उसने देखा कि महाराज ने दोनों हाथों से एक खम्भे को पकड़ रखा है। व्यक्ति को बहुत विस्मय हुआ।
उसने पूछा, ‘‘महाराज, आपने इस खंभे को क्यों पकड़ रखा है। छोडि़ए इसे।’’ उसकी बात सुन महाराज बोले, ‘‘भाई, जिस तरह तुमने शराब को नहीं, शराब ने तुम्हें पकड़ रखा है, उसी तरह मैंने खम्भे को नहीं, बल्कि खम्भे ने मुझे पकड़ रखा है। अब यह छोड़े तो ही छूटूंगा न।’’
वह व्यक्ति महाराज की बात का आशय समझ कर बहुत शॄमदा हुआ और उसने महाराज के सामने पुन: प्रतिज्ञा की कि वह अब जीवन भर शराब को हाथ
नहीं लगाएगा। -रमेश जैन