Mukti Nath Dham Nepal: मुक्तिनाथ धाम, जहां विष्णु जी को मिला वृंदा का श्राप मुक्त होने का वरदान

Edited By Updated: 23 Aug, 2025 07:00 AM

muktinath dham nepal

Mukti Nath Dham Nepal: भगवान विष्णु ने कई अवतार लेकर दुनिया के कल्याण का कार्य किया, लेकिन वे खुद एक विशेष श्राप से बच नहीं पाए। यह श्राप देवी वृंदा ने दिया था। जहां देवी वृंदा ने भगवान विष्णु को इस श्राप से मुक्ति दिलाई, उस स्थान पर आज एक प्रसिद्ध...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Mukti Nath Dham Nepal: भगवान विष्णु ने कई अवतार लेकर दुनिया के कल्याण का कार्य किया, लेकिन वे खुद एक विशेष श्राप से बच नहीं पाए। यह श्राप देवी वृंदा ने दिया था। जहां देवी वृंदा ने भगवान विष्णु को इस श्राप से मुक्ति दिलाई, उस स्थान पर आज एक प्रसिद्ध मंदिर स्थित है, जिसे मुक्तिनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर नेपाल की मुक्तिनाथ घाटी में मस्तंग क्षेत्र के थोरोंग ला पर्वत पर स्थित है। समुद्र तल से लगभग 3,800 मीटर की ऊंचाई पर बने इस मंदिर को दुनिया के सबसे ऊंचे मंदिरों में गिना जाता है। यहां भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप की विशेष पूजा की जाती है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी वृंदा के पति जालंधर का आतंक इतना बढ़ गया था कि हर जगह दहशत फैल गई थी। इस स्थिति से परेशान होकर सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए और उनसे जालंधर से रक्षा करने का अनुरोध किया। देवताओं ने कहा कि जालंधर का नाश करना बेहद जरूरी है लेकिन यह काम आसान नहीं होगा क्योंकि उसकी पत्नी वृंदा की कठोर पतिव्रता निष्ठा के कारण उसे कोई भी हर नहीं सकता था।

PunjabKesari MuktiNath Dham Nepal

एक समय देवताओं और असुरों के बीच भीषण युद्ध चल रहा था। असुरों की ओर से युद्ध का नेतृत्व जालंधर नामक बलशाली राक्षस कर रहा था, जिसे उसकी पत्नी वृंदा की पतिव्रता शक्ति से विशेष बल प्राप्त था। इस शक्ति के कारण जालंधर को कोई पराजित नहीं कर पा रहा था।

देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता की प्रार्थना की। तब भगवान विष्णु ने एक लीला रची। उन्होंने जालंधर का रूप धारण किया और वृंदा के सामने पहुंचे। वृंदा अपने पति के वेश में आए भगवान विष्णु को पहचान नहीं सकीं और उन्हें सचमुच जालंधर समझकर उनके चरणों में झुक गईं। जैसे ही उन्होंने यह किया, उनकी पतिव्रता शक्ति नष्ट हो गई और उसी क्षण देवताओं ने युद्ध में जालंधर का वध कर दिया।

जब वृंदा को यह सच्चाई पता चली कि वह जिससे मिल रही थीं, वह उनके पति नहीं बल्कि स्वयं भगवान विष्णु थे, तो वह अत्यंत दुखी हो गईं। उन्होंने भगवान से पूछा, “प्रभु, मैंने तो सदैव आपकी भक्ति की है, फिर आपने मेरे साथ यह छल क्यों किया?” अपने आहत हृदय से उन्होंने विष्णु जी को श्राप दे दिया कि वे पत्थर बन जाएं।

PunjabKesari MuktiNath Dham Nepal

भगवान विष्णु ने वृंदा के वचनों का सम्मान करते हुए पत्थर का रूप ले लिया। जब यह बात देवी लक्ष्मी को ज्ञात हुई, तो वे वृंदा के पास पहुंचीं और उनसे विनती की कि वे अपना श्राप वापस लें, क्योंकि उनके बिना सृष्टि का संतुलन बिगड़ जाएगा। देवी वृंदा ने लक्ष्मी जी की बात मान ली और अपना श्राप वापस ले लिया।

वृंदा ने फिर अपने पति जालंधर के वियोग में अपना शरीर त्याग दिया और सती हो गईं। उनके शरीर के पंचतत्वों से एक दिव्य वृक्ष उत्पन्न हुआ, जिसे भगवान विष्णु ने तुलसी नाम दिया और वरदान दिया कि वह सदैव उनके शालिग्राम रूप के साथ अर्धांगिनी के रूप में पूजित होंगी।

यह भी कहा जाता है कि जहाँ वृंदा ने विष्णु जी को श्राप से मुक्त किया था, वह स्थान मुक्तिनाथ धाम के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

PunjabKesari MuktiNath Dham Nepal

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!