Navratri 2021 Day 6: मनचाहे वर के लिए आज करें देवी कात्यायनी की पूजा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Oct, 2021 08:03 AM

navratri maa katyayani

नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी की साधना का विधान है। परमात्मा के नैसर्गिक क्रोध से उत्पन्न हुई देवी का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है। ऋषि मार्कण्डेय जी द्वारा रचित मार्कंड़य पुराण में

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6th Day of Navratri: नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी की साधना का विधान है। परमात्मा के नैसर्गिक क्रोध से उत्पन्न हुई देवी का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है। ऋषि मार्कण्डेय जी द्वारा रचित मार्कंड़य पुराण में भी देवी के इस रूप का वर्णन मिलता है। कालिका पुराण के अनुसार उड़ीसा राज्य में देवी का निवास स्थान बताया गया है। माता पार्वती का ही रूप माना जाता है देवी कात्यायनी जी को। इसी कारण देवी को लाल रंग प्रिय माना जाता है। देवी की उपासना से भक्तों को अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की शीघ्र प्राप्ति होती है। मां कात्यायनी अमोघ शक्ति देने वाली हैं। गोपियों ने पति रूप में पाने के लिए इन्हीं देवी का पूजन किया था। यह ब्रज की अधिष्ठात्री देवी भी हैं। देवी कात्यायनी के पूजन से कुंडली में बृहस्पति के अशुभ प्रभाव नष्ट होते हैं। कन्ययाओं को मनवांछित एवं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए गुरु ग्रह का शुभ होना बहुत आवश्यक है। इस कारण देवी का विधिवत पूजन अत्यंत शुभ फल देता है क्योंकि बृहस्पति ग्रह ज्ञान, वर, सक्सेस, सम्पन्नता के कारक हैं।

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How do you worship Maa Katyayani देवी कात्यायनी को शहद, लाल पुष्प की माला, और चंदन अर्पित करने से जीवन में अर्थ से जुड़ी परेशानियां दूर हो जाती हैं।

देवी की साधना करते हुए उन्हें 11 जायफल से बनी माला अर्पित करें। कार्य सिद्धि के लिए यह उत्तम उपाय है।

सात प्रकार के तिलक से देवी का को तिलक करने से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी और शत्रुओं का नाश होगा। दूध, हल्दी, चंदन, कुमकुम, भस्म, केसर और चावल।

देवी का ध्यान उत्तर पूर्व की दिशा में बैठकर करें और इनके मंत्रों का उच्चारण करते हुए पुष्प वर्षा करें।

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Devi Katyayani Mantra मां कात्यायनी मंत्र-
क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम ओम देवी कात्यायन्यै नमः॥

एत्तते वदनम साओमयम् लोचन त्रय भूषितम। पातु नः सर्वभितिभ्य, कात्यायनी नमोस्तुते।।

कात्यायनी शुभं दद्द्याद देवी दानवघातिनी।। या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। वन्दे वांछित मनोंरथार्थ चंद्राध्रिकृतशेखरम।

नीलम
8847472411

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