Edited By Prachi Sharma,Updated: 30 Dec, 2025 07:50 AM

पाकिस्तान भर में प्राचीन हिंदू और बौद्ध विरासत स्थल बर्बरता, उपेक्षा और अवैध कब्जे के बढ़ते खतरों का सामना कर रहे हैं जिससे पाकिस्तान के हिन्दू संगठनोंं और विशेषज्ञों के बीच गंभीर चिंताएं बढ़ रही हैं।
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गुरदासपुर, इस्लामाबाद (विनोद): पाकिस्तान भर में प्राचीन हिंदू और बौद्ध विरासत स्थल बर्बरता, उपेक्षा और अवैध कब्जे के बढ़ते खतरों का सामना कर रहे हैं जिससे पाकिस्तान के हिन्दू संगठनोंं और विशेषज्ञों के बीच गंभीर चिंताएं बढ़ रही हैं।
इनमें से कई स्थल, जिनमें से कुछ लगभग 5000 साल पुराने हैं, संवेदनशील क्षेत्रों में स्थित हैं और कथित तौर पर उन्हें नुकसान पहुंचाया जा रहा है या उन पर अतिक्रमण किया जा रहा है।
सीमा पार सूत्रों के अनुसार प्रभावित क्षेत्रों में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर, गिलगित-बाल्टिस्तान, चिलास, हुंजा, शटियाल और खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान के कुछ हिस्से शामिल हैं, जो प्राचीन मंदिरों, पेट्रोग्लिफ्स और शिलालेखों का घर हैं।
शोधकर्त्ताओं का अनुमान है कि अकेले चिलास-हुंजा-शटियाल बैल्ट में 5000 ईसा पूर्व से 16वीं शताब्दी ईस्वी तक के 25,000 से अधिक पैट्रोग्लिफ्स और शिलालेख हैं। पाकिस्तान के चरमपंथी समूहों ने जानबूझकर कई स्थलों पर हिंदू और बौद्ध मूर्तियों को निशाना बनाया है, स्थायी पेंट से नक्काशी को खराब किया है या आकृतियों को खरोंच दिया है।