Edited By Prachi Sharma,Updated: 13 Sep, 2025 07:00 AM

Pitru Paksha Mantra: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह 16 दिवसीय अवधि होती है, जो भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर सर्वपितृ अमावस्या तक चलती है। इस समय को हमारे पूर्वजों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।...
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Pitru Paksha Mantra: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह 16 दिवसीय अवधि होती है, जो भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर सर्वपितृ अमावस्या तक चलती है। इस समय को हमारे पूर्वजों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस अवधि में पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से श्रद्धा और स्मरण की अपेक्षा रखते हैं। पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध के साथ-साथ मंत्र जाप का भी पितृ पक्ष में बहुत अधिक महत्व होता है। मंत्रों की ऊर्जा न केवल पितरों की आत्मा को तृप्त करती है, बल्कि श्राद्धकर्ता के जीवन से बाधाओं, पितृ दोष और दुर्भाग्य को दूर करने में भी सहायक होती है।
Pitru Paksha Mantra पितृ पक्ष मंत्र
पितृ तर्पण मंत्र - ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः।
पितृ शांति मंत्र - ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
श्राद्ध मंत्र - ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।
पितृ दोष निवारण मंत्र - ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः
गायत्री पितृ दोष निवारण मंत्र - ॐ देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः
Pitru Stuti Stotra पितृ स्तोत्र
अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।
इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ।।
मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा ।
तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि ।।
नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा ।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।
देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि: ।।
प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च ।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।
नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।
सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।
अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।
अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ।।
ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय:।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ।।
तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस:।
नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज ।।

Things to keep in mind while chanting mantras मंत्र जाप करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।
दक्षिण दिशा की ओर मुख करके मंत्र जाप करें, क्योंकि यह पितरों की दिशा मानी जाती है।
काले तिल और जल से तर्पण करें।
मंत्र जाप के समय मन को एकाग्र रखें और श्रद्धा भाव से करें।
कम से कम 11 बार प्रत्येक मंत्र का जप करें, और यदि संभव हो तो 108 बार करें।
