Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Apr, 2019 08:53 AM
13 अप्रैल को प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ और माता कौशल्या के घर भगवान हरी विष्णु ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के रुप में जन्म लिया था।
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13 अप्रैल को प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ और माता कौशल्या के घर भगवान हरी विष्णु ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के रुप में जन्म लिया था। तभी से ये दिन राम नवमी के रूप में मनाया जाने लगा। भारत के बहुत सारे स्थानों विशेषकर उत्तर भारत में इस पर्व की धूम रहती है। भगवान का ये अवतार राक्षसों का नाश करने के लिए हुआ था, विशेषकर रावण का। इस रोज़ श्रीराम की पूजा करने का फल अन्य दिनों से अधिक मिलता है। बहुत सारे वैष्णव इस दिन व्रत भी रखते हैं और प्रभु श्रीराम का गुणगान भी करते हैं। मान्यता है की जो व्यक्ति राम नवमी के दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाकर दक्षिणा देता है, उसके घर में धन-समृद्धि की कभी कोई कमी नहीं रहती। उत्तर भारत के बहुत सारे भागों में कन्या पूजन भी किया जाता है।
2019 में नवरात्रि के नवें दिन रामनवमी आ रही है। अष्टमी तिथि 12 अप्रैल, शुक्रवार की प्रात: 10 बजकर 18 मिनट से शुरु होकर 13 अप्रैल, शनिवार की सुबह 8 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। उसके बाद नवमी तिथि आरंभ हो जाएगी। 13 अप्रैल, शनिवार को रामनवमी का व्रत रखा जाएगा। 13 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 16 मिनट के उपरांत नवमी तिथि लगेगी, जो 14 अप्रैल की प्रात: 6 बजे तक ही रहने वाली है। फिर दशमी तिथि लग जाएगी।
प्रचलित मान्यताओं के आधार पर माना जाता है की श्रीराम चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि मध्याह्न काल के समय और पुनर्वसु नक्षत्र में धरती पर आए थे।
राम नवमी का पूजा मुहूर्त- 11:03 से 13:33 तक