What is Vish yoga in a horoscope: जब चंद्रमा और बृहस्पति एक साथ बैठते हैं तो गजकेसरी योग बनता है, जो बहुत शुभ होता है लेकिन चंद्रमा और शनि एक साथ बैठते हैं तो विष योग बनता है, जो जीवन में समस्याएं पैदा करता है। इसी तरह केतु और चंद्रमा , केतु और सूर्य, राहु और चंद्रमा, राहु और सूर्य कुंडली के किसी भी भाव में एक साथ बैठकर ग्रहण योग का निर्माण करते हैं जो शुभ नहीं होता। राहु और मंगल मिलकर अंगारक योग बनाते हैं। राहु और बृहस्पति मिलकर चांडाल योग बनाते हैं। मंगल और चंद्रमा मिलकर महालक्ष्मी योग बनाते हैं जो बहुत शुभ होता है । सूर्य और बुध मिलकर बुधादित्य योग बनाते हैं जो शुभ होता है। बुध और शुक्र मिलकर विष्णु लक्ष्मी योग बनाते हैं, उसे भी ज्योतिष में बहुत शुभ माना जाता है।
Saturn and Moon Conjunction: यदि किसी जातक के लग्न स्थान में शनि-चंद्र का विष योग बन रहा हो तो ऐसा व्यक्ति शारीरिक तौर पर बेहद अक्षम रहता है। उसे पूरा जीवन तंगहाली में गुजारना पड़ता है। लग्न में शनि-चंद्र होने पर उसका प्रभाव सीधे तौर पर सप्तम भाव पर भी होता है। इससे दांपत्य जीवन दुखपूर्ण हो जाता है। लग्न स्थान शरीर का भी प्रतिनिधित्व करता है इसलिए व्यक्ति शारीरिक रूप से कमजोर और रोगों से घिरा रहता है।
दूसरे भाव में शनि-चंद्र की युति होने पर जातक जीवनभर धन के अभाव से जूझता रहता है।
तीसरे भाव में बना विष योग व्यक्ति का पराक्रम कमजोर कर देता है और वह अपने भाई-बहनों से कष्ट पाता है।
चौथे भाव सुख स्थान में शनि-चंद्र की युति होने पर सुखों में कमी आती है और कई बार मातृ सुख भी पूरी तरह नहीं मिल पाता है। अगर किसी जातक की कुंडली में चंद्र और शनि चतुर्थ भाव में हों तो वह व्यक्ति जल से संबंधित कार्य करने वाला होता है। यह उसका स्वयं का व्यवसाय भी हो सकता है या फिर वह जल संबंधी विभाग में नौकरी करने वाला हो सकता है। यह सरकारी और प्राइवेट कुछ भी हो सकता है।
पांचवें भाव में यह दुर्योग होने पर संतान सुख नहीं मिलता और व्यक्ति की विवेकशीलता समाप्त होती है।
छठे भाव में विष योग छठे भाव में विष योग बना हुआ है तो व्यक्ति के अनेक शत्रु होते हैं और जीवन भर कर्ज में डूबा रहता है।
सप्तम भाव में विष योग बनने से जातक का पारिवारिक व दांपत्य जीवन हमेशा खराब रहता है। दांपत्य जीवन की कोई गरंटी नहीं रहती है। वहीं परेशानियां आती रहती हैं।
सातवें स्थान में होने पर पति-पत्नी में तलाक होने की नौबत तक आ जाती है।
आठवें भाव में बना विष योग व्यक्ति को मृत्यु तुल्य कष्ट देता है। दुर्घटनाएं बहुत होती हैं।
नौवें भाव में विष योग व्यक्ति को भाग्यहीन बनाता है। ऐसा व्यक्ति नास्तिक होता है।
दसवें स्थान में शनि-चंद्र की युति होने पर व्यक्ति के पद-प्रतिष्ठा में कमी आती है। पिता से विवाद रहता है।
ग्यारहवें भाव में विष योग व्यक्ति के बार-बार एक्सीडेंट करवाता है। आय के साधन न्यूनतम होते हैं।
बारहवें भाव में यह योग है तो आय से अधिक खर्च होता है।
Vish Yoga upay: ज्योतिष में अगर विष योग का वर्णन है तो इसके उपाय भी बताए गए हैं । जिन्हें करने से काफी फायदा होता है-
हर दिन हनुमान जी का पूजन करें। हनुमान चालीसा को पढ़ें और सिर पर केसर का तिलक लगाएं।
हर शनिवार के दिन छाया दान करें और शनिवार के दिन कुएं में दूध भी डालें।
जिन जातकों की कुंडली में विष योग होता हैं, उन जातकों को कभी रात में दूध नहीं पीना चाहिए।
अपनी वाणी और क्रिया-कर्म को हमेशा शुद्ध रखें।
मांस और मदिरा से दूर रहकर माता या माता समान महिला की सेवा करें।
प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाना न भूलें। यह अत्यंत लाभकारी होता है।
शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे नारियल फोड़ें। सरसों के तेल में काले उड़द और काले तिल डालकर दीपक जलाएं। पानी से भरा घड़ा शनि या हनुमान मंदिर में दान करें। हनुमान जी की आराधना से विष योग में बचाव होता है। शनिवार के दिन कुएं में कच्चा दूध डालें।
गुरमीत बेदी
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