Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Nov, 2023 08:18 AM
शेख सादी मस्जिद में नमाज पढ़ने जा रहे थे। इतने में उन्होंने देखा कि एक अमीर आदमी नमाज पढ़ने आया है और उसके पैरों में हीरे-जवाहरात जड़ी जूतियां हैं।
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Religious Katha: शेख सादी मस्जिद में नमाज पढ़ने जा रहे थे। इतने में उन्होंने देखा कि एक अमीर आदमी नमाज पढ़ने आया है और उसके पैरों में हीरे-जवाहरात जड़ी जूतियां हैं। उन्हें यह भी पता चला कि वह अमीर आदमी साल में एक बार ही नमाज पढ़ने आता है। शेख सादी मन ही मन बोले-हे अल्लाह! मैं रोज नमाज पढ़ता हूं, किन्तु मेरे पास फटी-पुरानी जूतियां हैं।
यह अमीर इंसान साल में एक ही बार नमाज पढ़ता है, लेकिन इसके पास रत्न जड़ित जूतियां हैं।
यह कैसा न्याय है?
शेख सादी यह सोच ही रहे थे कि वहां एक अपाहिज भी नमाज पढ़ने आ गया। उसके दोनों पैर नहीं थे, लेकिन उसने नमाज अदा करने में कभी कोताही नहीं की। यह देखकर शेख सादी ने तुरन्त अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए कहा- मुझ पर अल्लाह ने क्या कम इनायत की है, जो मुझे यहां तक आने के लिए दो सही-सलामत पैर दिए हैं। अत: इंसान को ईश्वर के प्रति सदैव आभारी रहना चाहिए।