हिंदू धर्म के पुराणों में है कोरोना वायरस से बचने के उपाय, जानना चाहते हैं तो क्लिक ज़रूर करें

Edited By Jyoti,Updated: 08 May, 2020 08:28 PM

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कोरोना! कोरोना! कोरोना!, क्या आपको भी इस समय अपने आस पास केवल यही नाम सुनाई दे रहा है। जिससे हर किसी के मन में नकारात्मक विचार आ रहे हैं।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
कोरोना! कोरोना! कोरोना!, क्या आपको भी इस समय अपने आस पास केवल यही नाम सुनाई दे रहा है। जिससे हर किसी के मन में नकारात्मक विचार आ रहे हैं। तो वहीं कुछ लोग इसकी वजह से हद से ज्यादा परेशान होते दिखाई दे रहे हैं। इतना कि कोई गूगल पर इसके बारे में सर्च कर-कर इससे बचने के उपाय जान रहे हैं तो वहीं कुछ लोग इसके लिए ज्योतिष की मदद ले रहे हैं कि कैसे कोरोना से हर हालात में बचा जा सके। तो आपको बता दें हम आपकी इस परेशानी का समाधान कर देते हैं, वो भी आपके घर बैठे ही। जी, आपको इसके लिए कहीं जाने की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी। परंतु हां, आपको इसके लिए अपनी प्राचीन संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं से ज़रूर जुड़ना होगा। 
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इन मान्यताओं में से जो मान्यताएं प्रमुख हैं जैसे घर में आने से पहले मुंह हाथ धोना, एक-दूसरे से हाथ मिलाने की बजाए दूर से नमस्ते करना, मुंह और सिर को ढककर रखना आदि पहले से ही लोग अपनाना शुरू कर चुके हैं। इसी कड़ी में आज हम आपको बताएंगे कि हिंदू धर्म के शास्त्रों में वर्णित ऐसे श्लोक आदि जिनमें कोरोना से बचने के उपाय छिपे हैं। मान्यता है इन्हें अपनाने से कोरोना का कहर आपके आस-पास भी नहीं आ पाएगा। 
 
इन दिनों पूरी दुनिया में कोरोना को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। इसकी अब तक कोई दवा नहीं होने के चलते बस कुछ उपायों की मदद से इसे हराने की तैयारी में दुनिया जुटी हुई है। ऐसे में सभी को सिवाय खुद को बचाने के कोई उपाय समझ में नहीं आ रहा है। अब तक दुनिया में इसका इतना संक्रमण बढ़ चुका है कि लोग अनजाने में ही इसके शिकार तक बन जा रहे हैं।


न अप्रक्षालितं पूर्वधृतं वसनं बिभृयात्

इस श्लोक के अनुसार प्रत्येक व्‍यक्ति को एक बार पहने गए कपड़ा बिना धोए फिर से धारण नहीं करना चाहिए। क्योंकि कहा जाता है कि जो वस्त्र एक बार पहन लिए जाते हैं वो वातावरण में मौज़ूद जीवाणु और विषाणु के संपर्क में आ जाता है। जिस से बीमारियों के होने के आसारा अधिक हो जाते हैं। 

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चिताधूमसेवने सर्वे वर्णा: स्नानम् आचरेयु:।
वमने श्मश्रुकर्मणि कृते च

हिंदू धर्म के विष्णुस्मृति में कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति को उल्‍टी हो चुकी हो, दाढ़ी बनवाकर आया हो, बाल कटवाकर आ रहा हो या कोई व्यक्ति श्‍मशान से आ रहा हो, तो उसे अपने घर में आकर सबसे पहले स्‍नान करना चाहिए अन्यथा किसी भी प्रकार के संक्रमण के होने का खतरा अधिक होता है। 


अपमृज्यान्न च स्नातो गात्राण्यम्बरपाणिभि:।

इसके अलावा मार्कण्डेय पुराण में कहा गया है कि व्यक्ति को इस बात का ध्यान रखें कि स्‍नान के बाद कभी भी गीले कपड़ों से तन को नहीं पोंछें क्योंकि ऐसा करने से त्‍वचा के संक्रमण की आशंका बनी रहती है। |

लवणं व्यञ्जनं चैव घृतं तैलं तथैव च।
लेह्यं पेयं च विविधं हस्तदत्तं न भक्षयेत्।

धर्मंसिंधु की मानें तो नमक, घी, तेल, व्‍यंजन, पेय पदार्थ या फिर कोई खाने का सामान अगर हाथ से परोसा गया हो यानि उसको देते समय किसी अन्य वस्तु जैसे चम्मच आदि का प्रयोग न किया जाए तो वह खाने योग्‍य नहीं रहता। इसलिए कहा गया है कि खाना परोसते समय चम्‍मच का प्रयोग ज़रूर करें।
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घ्राणास्ये वाससाच्छाद्य मलमूत्रं त्यजेत् बुध:।
नियम्य प्रयतो वाचं संवीताङ्गोऽवगुण्ठित:।

तो वहीं वाधूलस्मृति और मनुस्मृति के अनुसार हमेशा ही नाक, मुंह तथा सिर को ढ़ककर, मौन रहकर मल मूत्र का त्याग करना चाहिए। मान्यता है ऐसा करने से किसी संक्रमण का कोई खतरा नहीं रहता।

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